फिटनेस में छूट से बढ़े डग्गामार वाहन, बने हादसों की वजह

ट्रांसपोर्ट नगर में औसतन 40 गाड़ी फिटनेस को आती हैं। बुधवार को दस टायरा ट्रक से लेकर ऑटो तक हर किस्म की गाड़ी फिटनेस टेस्ट के लिए खड़ी थी। जांच शुरू हुई तो लापरवाही की परतें खुलने लगीं। फिटनेस के नाम पर ज्यादातर में महज खानापूर्ति हुई थी।

By Sant ShuklaEdited By: Publish:Thu, 26 Nov 2020 08:43 AM (IST) Updated:Thu, 26 Nov 2020 09:39 AM (IST)
फिटनेस में छूट से बढ़े डग्गामार वाहन, बने हादसों की वजह
नए नियम के बाद से फिटनेस को लेकर संजीदगी खत्म सी है।

बरेली,जेएनएन। मई 2019...शासन ने फिटनेस में विलंब शुल्क (रोज पचास रुपये) पर लगने वाली छूट खत्म की। कोशिश थी कि व्यावसायिक वाहन चलाने वालों पर लेट फीस का बोझ न पड़े, लेकिन मिली सहूलियत का बड़े स्तर पर नाजायज फायदा उठाया जाने लगा। नतीजतन, जिले में डग्गामार वाहनों की फेहरिस्त बढ़ती गई। जिले में करीब 18 हजार व्यावसायिक वाहन हैैं। आज हर महीने 400-500 वाहनों को फिटनेस न होने की याद परिवहन विभाग दिला रहा। लेकिन अब दंड का फंडा खत्म हो चुका है, इसलिए वाहन मालिक भी इत्मिनान से हैैं। जबकि बिना फिटनेस दौड़ रहे ये वाहन हादसे का सबब भी बनने लगे। तीन साल पहले जिले में ही एक हादसा हुआ था, जिसमें बस की जर्जर फर्श पर एक बच्चा फंस गया था। इसके बाद डग्गामार यानी बिना फिटनेस चल रहे वाहनों के खिलाफ कार्रवाई भी शुरू हुई। लेकिन नए नियम के बाद से फिटनेस को लेकर संजीदगी खत्म सी है। बुधवार को फिटनेस के लिए पहुंचने वाले हालातों का जायजा लिया तो हकीकत कुछ यूं थी...

केस-1 अधूरी फिटनेस लेकिन पास होने की आस
ट्रांसपोर्ट नगर में औसतन 40 गाड़ी फिटनेस को आती हैं। बुधवार को दस टायरा, ट्रक से लेकर ऑटो तक हर किस्म की गाड़ी फिटनेस टेस्ट के लिए खड़ी थी। जांच शुरू हुई तो लापरवाही की परतें खुलने लगीं। किसी गाड़ी में रिफ्लेक्टर टेप नहीं लगा था, कहीं टेप के नाम पर महज खानापूरी हुई थी। यही नहीं, कोई ट्रक की टूटी विंड स्क्रीन के बावजूद फिटनेस कराने आया था।

केस-2
फिटनेस से पहले ही पड़ते हैैं नंबर

व्यावसायिक वाहनों की फिटनेस के लिए प्राथमिक चीज है वाहन का नंबर ठीक ढंग से लगा हो। हालांकि 30 नवंबर के बाद से हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट होने पर ही फिटनेस किये जाने के आदेश हैैं। ऐसे में साल या दो साल का फिटनेस लेने वालों की तादाद बढ़ गई है। बुधवार को फिटनेस कराने पहुंची अधिकांश गाडिय़ों में नंबर ही नहीं लिखा था। नंबर आने से ठीक पहले पेंटर रजिस्ट्रेशन नंबर दर्ज करता।

केस-3
जुगाड़ से ऑटो बनवाकर फिटनेस कराने पहुंचे

फिटनेस के लिए एक ऐसे शख्स भी पहुंचे थे जिन्होंने हादसे में ऑटो क्षतिग्रस्त होने के बाद जुगाड़ से बनवाया था। यानी ऑटो का निचला हिस्सा दूसरे मॉडल का था, जबकि ऊपरी हिस्सा दूसरे मॉडल का। अंदर-बाहर से ऑटो की हालत भी खराब थी। फिटनेस में यह गाड़ी दिखी तो आरआइ भी हैरान रह गए।

ट्रैक्टर-ट्राली बनीं परेशानी का सबब
जिले में सैकड़ों की तादाद में ट्रैक्टर-ट्राली चलती हैैं। परिवहन विभाग के मुताबिक व्यावसायिक  वाहनों में केवल 161 दर्ज हैैं। जबकि जिले भर में ट्रैक्ट्रर ट्राली से ईंट, मौरंग, मिट्टïी बालू, कूड़ा ढोया जाता है। खास बात कि महज 62 ट्रैक्टर ट्राली के साथ पंजीकृत हुए हैैं। बाकी ट्रैक्टर बिना ट्राली के पंजीकृत हैैं। दरअसल, कृषि उपयोग में ट्रैक्टर का पंजीकरण निजी वाहनों के तौर पर होता है। जबकि हकीकत में इन्हें गन्ना लदान के साथ अन्य माल ढोने में लगा दिया जाता है। क्योंकि अधिकांश ट्रालियों में रिफ्लेक्टर टेप नहीं होता। ऐसे में सर्दियों के समय ये हादसे का कारण बनते हैैं।

बेलगाम हैैं जुगाड़ के वाहन
जिले में जुगाड़ वाले वाहन भी काफी दौड़ रहे। ऐसे वाहन सबसे ज्यादा शहर में बदायूं रोड से जिले के ग्रामीण इलाकों की ओर दौड़ते मिल जाएंगे। इसके अलावा शहर के बाहर लगभग हर जगह ये वाहन हैैं। नियमानुसार इन्हें पकड़कर सीज करने के बाद सीधे डिस्मेंटल करने के आदेश हैं। लेकिन जिले में जुगाड़ के ये वाहन बेलगाम हैं।

903 स्कूली वाहनों पर जरूरी है नजर
जिले के स्कूलों में करीब 903 वाहनों से विद्यार्थी आते-जाते हैैं। इन वाहनों की फिटनेस के लिए 31 बिंदुओं पर फिटनेस पास की जाती है। इसमें अन्य व्यावसायिक वाहनों के साथ ही वाहन का पीला रंग, रेडियम पट्टïी, स्पीड गवर्नर, प्रेशर गेट, खिड़कियों पर जाली, कैमरा, जीपीएस, सीट बेल्ट, अग्निशमन यंत्र, स्कूल बैग रखने की जगह जैसे नियम जरूरी हैैं। वैसे तो स्कूली वाहनों को लेकर विभाग संजीदा रहते हैैं। लेकिन ऑटो-टेंपों से स्कूली बच्चों के आने-जाने पर अभी तक पाबंदी नहीं लग सकी है।

आंकड़ों में वाहनों की कहानी 

स्कूली बसें : 471
स्कूल से अनुबंधित बसें : 85
स्कूली वैन या अन्य कैब : 138
अनुबंधित वैन या कैब : 209
ट्रक : 12000
अन्य बस : 321
ट्रैक्टर-ट्राली : 161

क्या कहती है एसोसिएशन 

 
जिले में अवैध रूप से चल रहे डग्गामार और ट्रैक्टर ट्रालियां हादसों की वजह बनती हैैं। लेकिन अभी तक इन्हें रोकने के लिए परिवहन विभाग या यातायात पुलिस ने कोई बड़ी पहल शुरू नहीं की है। ट्रैक्टर-ट्राली के डाटा में परिवहन विभाग भी घालमेल करता है। इनके खिलाफ कार्रवाई के लिए हाल में एसपी ट्रैफिक से मिले थे।
- शोभित सक्सेना, अध्यक्ष, बरेली ट्रक ओनर्स ट्रांसपोर्टर्स वेलफेयर एसोसिएशन

स्कूली बसों में करीब 31 नियमों का पालन करने के बाद फिटनेस जारी होने का प्रावधान है। यूनियन से जुड़े हर बस ऑपरेटर को नियमों का पालन कराया जाता है।
- राजेश कालरा, अध्यक्ष, बरेली बस ऑपरेटर्स वेलफेयर एसोसिएशन

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