बरेली में सर्जिकल आइटम बनाने की फैक्ट्री न होने से किल्लत बढ़ी, व्यापारी फैक्ट्री लगाने को तैयार हैं तो जानें क्या दिक्कत सामने आ रही
Surgical Items Shortage News कोरोना की पहली लहर आई मास्क और सैनिटाइजर तक का इंतजाम पूरा नहीं था। सरकार ने उद्यमियों को माहौल दिया जिसकी बदौलत इस बार कोई कमी नहीं रही। दूसरी लहर में आक्सीजन की किल्लत हो गई।तमाम सर्जिकल आइटम बाजार में कम पड़ गए हैं।
बरेली, जेएनएन। Surgical Items Shortage News : कोरोना की पहली लहर आई, मास्क और सैनिटाइजर तक का इंतजाम पूरा नहीं था। सरकार ने उद्यमियों को माहौल दिया, जिसकी बदौलत इस बार कोई कमी नहीं रही। दूसरी लहर में आक्सीजन की किल्लत हो गई। सरकार ने उद्यमियों के साथ मिलकर प्रयास किए तो धीरे-धीरे किल्लत दूर होने लगी है। हालांकि तमाम सर्जिकल आइटम बाजार में कम पड़ गए हैं।
इस बीच राहत भरी खबर यह है कि चिकित्सा उपकरणों के निर्माण के लिए सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम इकाइयां लगाने को शासन ने सब्सिडी देने की घोषणा कर दी है। अपने जिले की बात करें तो यहां सैनिटाइजर, मास्क को छोड़ दें तो कोई भी सर्जिकल आइटम बनाने की फैक्ट्री नहीं है। सरकार की घोषणा का स्वागत करते हुए तमाम व्यापारियों ने सर्जिकल आइटम बनाने के उद्यम लगाने का मन बना लिया है।
दूसरे जिलों व राज्यों से आता है सर्जिकल आइटम : बरेली मेडिकल हब जरूर है लेकिन यहां सर्जिकल आइटम के उत्पादन की बात करें तो यह शून्य है। पिछले साल से यहां सैनिटाइजर, मास्क और कॉटन का ही उत्पादन किया जा रहा है, जो बहुत बड़े स्तर पर नहीं है। इलाज में इस्तेमाल होने वाली सिरिंज, आइवी सेट, कैनुला समेत अन्य सामान के लिए व्यापारियों को दूसरे जिलों या फिर दूसरे राज्यों पर निर्भर रहना पड़ता है। यह सामान गोरखपुर, संभल, नोएडा, पिलखुआ से शहर में आ रहा है। आक्सीजन फ्लो मीटर, मास्क समेत अन्य सामान दिल्ली, करनाल, हरिद्वार, हिमाचल समेत अन्य जगह से आता है।
गुजरात से मंगाए जाते हैं आक्सीजन के खाली सिलिंडर : आक्सीजन सप्लाई के लिए खाली सिलिंडर गुजरात से मंगाए जाते हैं। वही से पूरे देश में सिलिंडर की सप्लाई होती है। प्रदेश के प्रयागराज में पहले यह सिलिंडर बनाने की फैक्ट्री थी जो बंद हो गई थी। कोरोना की दूसरी लहर में सरकार ने आर्थिक मदद देकर फैक्ट्री को दोबारा शुरू करने का प्रयास किया। बावजूद इसके फैक्ट्री में कुछ सिलिंडर बने और फिर वह दोबारा बंद हो गई। पल्स आक्सीमीटर, रेस्पीरोमीटर और तमाम डिस्पोजल आइटम आगरा की रामसंस फैक्ट्री से सप्लाई होते हैं।
क्या कहते हैं व्यापारी : बरेली कैमिस्ट एसोसिएशन अध्यक्ष दुर्गेश खटवानी ने बताया कि चिकित्सकीय कार्यों में इस्तेमाल होने वाले सामान्य गल्ब्स (दस्ताने) लेटेक्स के होते हैं। यह सीधे मलेशिया से आयात किए जाते हैं। अपने देश में सिर्फ इनकी पैकिंग होती है। इसी बीच लोगों ने काफी महंगे गल्ब्स बेचे। अब सरकार ने सब्सिडी की घोषणा की है। गल्ब्स बेचने के लिए लाइसेंस लेने का प्रयास करेंगे। ताकि लोगों को सही दामों पर सामान उपलब्ध हो सके।
एसपी इंडस्ट्रीज राजेंद्र गुप्ता ने बताया कि जिले में चिकित्सा उपकरण बनाने की अपार संभावनाएं हैं। हम दो हजार लीटर प्रतिदिन क्षमता वाला आक्सीजन प्लांट लगाने की तैयारी में हैं। यह प्लांट वातावरण से आक्सीजन लेगा। जितनी सिलिंडरों में भर पाएंगे, भर जाएगी, बाकी की तरल आकार में स्टोर कर ली जाएगी। फिलहाल सिलिंडर का वाल्व, टैंकर आदि कई सामान मिलने में काफी दिक्कत हुई।
अरोरा सर्जिकल अक्षय अरोरा ने बताया कि फिलहाल सभी तरह का सर्जिकल आइटम बाहर से ही मंगवाना पड़ता है। महामारी के वक्त माल मिलने में काफी दिक्कत हुई। अब सिंरिज, कैनुला, आइवी सेट समेत अन्य सामान यही उत्पादन करने की मंशा है। सरकार की योजना का लाभ उठाकर जल्द फैक्ट्री लगाने का विचार है। इससे जिले में लोगों को सही दामों पर आसानी से सर्जिकल आइटम उपलब्ध हो सकेगा।
काफी महंगे बिक गए सर्जिकल आइटम
आइटम - पहले दाम - कितने तक बिके
फ्लो मीटर - 800 - 7000
आक्सीजन मास्क - 30 - 150
पल्स आक्सीमीटर - 800 - 5000
थर्मामीटर (डिजिटल) - 80 - 200
थर्मामीटर (पारा) - 40 - 80
दस्ताने जोड़ा (सामान्य) - सात - 20