सिख विरोधी दंगा : जिले में भी उपद्रव की आग से झुलसे थे 78 परिवार
देश में वर्ष 1984 में हुए सिख विरोधी दंगों की आग शहर तक भी पहुंची थी।
बरेली(जेएनएन): देश में वर्ष 1984 में हुए सिख विरोधी दंगों की आग शहर तक भी पहुंची थी। 78 परिवार इसमें झुलसे थे। 34 वर्ष पुराने मामले के दोषियों के खिलाफ सजा का फैसला कोर्ट ने सुरक्षित कर लिया है, लेकिन समाज के लोग दोषियों को कड़ी सजा सुनाए जाने का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं।
सरदार सुरजीत सिंह ने बताया कि उस समय जिले में भी दंगे हुए थे। बहेड़ी में एक मौत हुई थी। एसएसपी अहमद हसन और एडीएम डॉ. जीडी माहेश्वरी ने बहुत मदद की। दंगों के समय वह स्वयं एक से डेढ़ माह के लिए पंजाब चले गए थे, लेकिन फिर वापस शहर आए। अफसरों के सहयोग से लोगों को समझाया और काफी लोगों को पलायन से रोका। फिर गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी की तरफ से उस दौर में 2.35 लाख रुपये दंगा पीड़ितों को बतौर मदद बांटे गए, जिसमें पीड़ितों को तीन से 10 हजार रुपये तक की मदद की गई। सभी की मदद यह कहकर की गई कि वह अपना व्यवसाय आदि फिर से शुरू करें। 12 लोगों को मिला मुआवजा, एक ने किया इन्कार वर्ष 2010-11 में मुआवजे के लिए फॉर्म भरवाए गए, जिसमें जिला प्रशासन को लगभग 80 से 82 लोगों की सूची दी गई, जिसमें 78 लोग मुआवजे के लिए चिंहित हुए, लेकिन मुआवजा सिर्फ 12 लोगों को मिला। वह भी महज 30 से 50 हजार रुपये के चेक मिले, जबकि सरकार ने डेढ़ लाख रुपये तक देने का दावा किया था। इसमें से भी एक पीड़ित अतर सिंह ने इसे लेने से इन्कार किया।