चुनावी चौपाल : 'वोट तो दय दियब, लेकिन हाथ न मिलाउब'

पंचायत चुनाव के मतदान की तिथि करीब आने के साथ ही चुनावी चर्चा भी जोर पकड़ रही है। खेत में काम करते किसान हों या होटल पर बैठकर चाय पीते लोग।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 20 Apr 2021 11:09 PM (IST) Updated:Tue, 20 Apr 2021 11:09 PM (IST)
चुनावी चौपाल : 'वोट तो दय दियब, लेकिन हाथ न मिलाउब'
चुनावी चौपाल : 'वोट तो दय दियब, लेकिन हाथ न मिलाउब'

बाराबंकी : पंचायत चुनाव के मतदान की तिथि करीब आने के साथ ही चुनावी चर्चा भी जोर पकड़ रही है। खेत में काम करते किसान हों या होटल पर बैठकर चाय पीते लोग। सबकी चर्चाओं का विषय पंचायत चुनाव और प्रत्याशी ही हैं। इन सबके बीच लोगों में कोरोना का भय भी देखने को मिल रहा है। मंगलवार को हरख ब्लाक के टांड़पुरवा की एक दुकान पर बैठै लोग चर्चा कर रहे थे कि भैया जैसय कुत्ता भौंकत हय, पता चल जात है कि वोट मांगय आए हयं। हम घर के अंदर से बाहर आ जाइत है। एक तौ हाथ मिलावय लगै, हमहूं कहन कि भैया वोट तो दै दियब, लेकिन हाथ न मिलाउब। कुछ ऐसी चर्चाएं आम हो रही हैं। प्रस्तुत है जैदपुर से संतोष कुमार की रिपोर्ट..

गुलरिहा के दिनेश कुमार वर्मा चुनावी चर्चा कर रहे थे। उन्होंने कहा कि खड़ी दुपहरी में खेत को जाते है और प्रत्याशी खेत में काम कर रहे वोटरों के साथ पेपरमिट के खेत में बिना कोई परवाह किए बैठ जाते हैं। कहते है कि भैया जी अबकी बार हमहिन का वोट देहव। सरकार की विभिन्न योजनाओं का लाभ तुमको ही मिलेगा। टांड़पुरवा के धनंजय सिंह बोले ई समय तव वादों के ढेर लगे हैं। गोठिया के अब्बास अली ने कह रहे थे कि नया प्रधान बनाने से गांव का विकास होगा। हमारे गांव के खेतों में जाने के लिए चकरोट नहीं हैं। इस बार यह काम हो जाए तो ठीक है। हमसे तो प्रत्याशी हाथ मिलाने लगते हैं, तो कह देते हैं कि पहले काम कराओ, अब कोरोना चल रहा है। इसरौली सारी के अरविद वर्मा ने कहा ग्राम प्रधान चाहे तो सरकार की योजना को गांव में लाकर शहर बना सकता है, लेकिन करता नहीं है।

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