ट्रैफिक सिग्नल न बेहतर सड़कें, जोखिम भरा सफर

यातायात व्यवस्था को सुचारू करने के लिए सुविधाएं नदारद हैं। निरंकार जायसवाल बाराबंकी यातायात व्यवस्था को सु²ढ़ और कुशल बनाने में ट

By JagranEdited By: Publish:Thu, 26 Nov 2020 11:43 PM (IST) Updated:Thu, 26 Nov 2020 11:43 PM (IST)
ट्रैफिक सिग्नल न बेहतर सड़कें, जोखिम भरा सफर
ट्रैफिक सिग्नल न बेहतर सड़कें, जोखिम भरा सफर

एडवायजरी

निरंकार जायसवाल, बाराबंकी :

यातायात व्यवस्था को सु²ढ़ और कुशल बनाने में ट्रैफिक सिग्नल की भूमिका बहुत अहम होती है। लेकिन, जिले में ट्रैफिक सिग्नल लाइट ही नहीं हैं। यातायात को कंट्रोल करने के लिए ट्रैफिक व सिविल पुलिस को ही जोखिम भरी ड्यूटी करनी पड़ रही है। वहीं, सड़कें जर्जर हों अथवा अच्छी दोनों ही दशा में हो रहे हादसे लोगों की जान ले रहे हैं और दिव्यांग बना रहे हैं। छह वर्षों में हुए सड़क हादसों में 2916 लोगों की मौत हो गई और 1043 दिव्यांग हो गए। राष्ट्रीय क्राइम रिकार्ड ब्यूरो के आंकड़े बताते हैं कि वर्ष 2015 में 3456 सड़क हादसे सड़क की उपयुक्त बुनियादी सुविधाओं के अभाव के कारण हुए। वर्ष 2014 में बहराइच रोड पर मात्र एक गड्ढे ने 22 मजदूरों की जान ले ली थी। हाईवे की सड़कें अमूमन ठीक हैं, पर अवैध कट, संकेतक न होना और सड़क किनारे की पटरी न बने होना हादसे की वजह बन रहा है। मोड़ पर संकेतक, ट्रैफिक सिग्नल, जरूरी दिशा-निर्देश का सूचना पट और वाहनों में रिफ्लेक्टर नहीं होने के कारण सड़कें अच्छी होने के बावजूद वाहन अनियंत्रित होकर हादसों का शिकार होते रहते हैं। पटेल तिराहे पर पहली ट्रैफिक लाइट : जिले को जल्द ही ट्रैफिक लाइट मिलने वाली है। सीओ ट्रैफिक सीमा यादव ने बताया कि कार्ययोजना पूरी हो चुकी है और जल्द ही पटेल तिराहे पर ट्रैफिक सिग्नल लाइट लगेगी। उपलब्ध संसाधनों के जरिए यातायात को सुचारू बनाया जा रहा है। खराब खड़े वाहन दे रहे मौत : हाईवे पर खड़े वाहन आए दिन बड़े हादसों का कारण बनते हैं। इनमें खराब होने और ड्राइवर के स्वेच्छा से वाहन करने के कारण भी यह दुघर्टनाग्रस्त हो जाते हैं। नवंबर 2019 में सफदरगंज थाना क्षेत्र में खड़े वाहन से टकराकर गोरखपुर से लखनऊ को रहे परिवार के तीन सदस्यों की मौत हो गई थी। ठंड में इन वाहनों से हादसों की संख्या बढ़ जाती है। पुलिस के चिन्हित ब्लैक स्पॉट : कस्बा हैदरगढ़, नेवला, चौबीसी, दादरा, सहावपुर, भिटरिया, मोहम्मदपुर चौराहा, उधौली, त्रिवेदीगंज, दिलौना मोड़, कस्बा कोठी, निदूरा, अमरसंडा और बसरा।

लखनऊ-अयोध्या हाईवे : लखनऊ की सीमा मोहम्मदपुर से लेकर सफेदाबाद, केवाड़ी मोड, असैनी मोड, कुरौली आलापुर, गायत्री मंदिर, सतरिख व पैसार नाका, पल्हरी चौराहा, रामनगर तिराहा, चौपुला, शुक्लाई, उधौली, सफदरगंज चौराहा और अयोध्या सीमा पर भिटरिया है। लखनऊ-बहराइच हाईवे : रामनगर तिराहे से बहराइच से कटे इस हाईवे पर सहावपुर, मसौली थाना व करीब का क्षेत्र, नेवला करसंडा, घाघरा पुल, घाघरा घाट, चौका घाट चौराहा, गनेशपुर व केसरीपुर आदि।

लखनऊ-सुल्तानपुर हाईवे : छबील चौकी, दहिला मोडृ, मंगल का पुरवा चौराहा, त्रिवेदीगंज, बारहगंज, हैदरगढ़ कस्बा, भवनखेरा, गोसपुर, चौबिसी से लेकर जिले के छोर तक अधिक हादसे होते हैं। लखनऊ-महमूदाबाद मार्ग : अनवारी, अमरसंडा, कुर्सी चौराहा, अमरून चौराहा, राजकीय इंटर कॉलेज निदूरा, निदूरा चौराहा, टिकैतगंज, रीवां-सीवां, बड्डूपुर और नहर कोठी सीतापुर बार्डर।

दूर होगी खामी, टलेंगे हादसे : ठंड के मौसम में कोहरे के कारण सड़क हादसे बढ़ जाते हैं। ऐसे में एसपी ने कोहरे के कारण होने वाले हादसों पर अंकुश लगाने की रणनीति तैयार की है। जिसके तहत अक्टूबर 2019 से लेकर जनवरी 2020 तक यूपी 112 पर सड़क हादसे संबंधित जो सूचनाएं आई हैं उनके आधार पर स्थान चिन्हित किए जा रहे हैं। इन स्थानों से करीब दो से तीन किलोमीटर पहले से ब्लैक स्पॉट के बारे में संकेतक लगा दिए जाएंगे कि आगे पुलिया है, सकरा रास्ता है पुल अथवा अंधा मोड़ आदि। यह देखकर राहगीर पहले सर्तक हो जाएंगे और हादसों पर अंकुश लगेगा।

------------ जिले में 14 ब्लैक स्पॉट चिन्हित हैं। डीएम की अध्यक्षता में प्रत्येक तीन माह में सड़क सुरक्षा समित की बैठक होती है। जिसमें इन ब्लैक स्पॉट को समाप्त करने के लिए जिस विभाग से संबंधित रोड होती है जैसे पीडब्ल्यूडी अथवा एनएचएआई उसी को इसकी खामी को दूरी करने की जिम्मेदारी दी जाती है।

-पंकज सिंह, एआरटीओ प्रशासन।

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