काबिले तारीफ है रोटीगांव के नौजवानों का रोजी-रोटी के लिए संघर्ष

दो जून की रोटी के लिए मंडी में पल्लेदारी करते हैं रोटीगांव के किसान

By JagranEdited By: Publish:Sat, 06 Jun 2020 01:29 AM (IST) Updated:Sat, 06 Jun 2020 01:29 AM (IST)
काबिले तारीफ है रोटीगांव के नौजवानों का रोजी-रोटी के लिए संघर्ष
काबिले तारीफ है रोटीगांव के नौजवानों का रोजी-रोटी के लिए संघर्ष

बाराबंकी : रामनगर ब्लॉक के रोटीगांव के नौजवानों का रोजी-रोटी के लिए संघर्ष काबिले तारीफ है। मार्च के महीने में इस गांव की रबी फसलों पर प्रकृति का कहर ओलावृष्टि के रूप में टूटा था। गेहूं, चना, मटर, मसूर आदि की फसलें बर्बाद हो गईं। ऐसे में इस बार बेचने की कौन कहे खाने भर का भी गेहूं नहीं बचा।

इस गांव के एक दर्जन से अधिक नौजवान मूलचंद्र, आकाश, अलिखेलश कुमार, सुशील कुमार, प्रमोद कुमार व अतुल कुमार आदि इस समय नवीन मंडी में संचालित गेहूं क्रय केंद्र पर पल्लेदारी के काम की तलाश में आते हैं। जिस दिन गेहूं खरीद होती है उस दिन मजदूरी मिलती है वर्ना घर से लाई रोटी खाकर खाली हाथ वापस चले जाते हैं। विपणन शाखा के क्रय केंद्र पर मिले मूलचंद्र व आकाश ने बताया कि ओलावृष्टि से रबी की सभी फसलें नष्ट हो गई थी। गांव में कोई दूसरा काम नहीं हैं। ऐसे में पल्लेदारी का काम के लिए हम लोग आते हैं। इस बार गेहूं ज्यादा नहीं हो रही है। जिस दिन खरीद नहीं होती है उस दिन कुछ भी नहीं मिलता। आने-जाने का खर्च भी नहीं निकलता। दोपहर में खाने के लिए रोटी घर से लाते हैं। यहां से जाने के बाद व सुबह आने से पहले जो समय मिलता है उस समय में खेती व घर का काम भी करते हैं। मूलचंद्र ने कहा कि उनसे दो बीघा मेंथा की फसल भी तैयार की है। मानसून ने यदि साथ न दिया तो मेंथा की फसल भी बर्बाद हो जाएगी। पल्लेदारी से मिलने वाले पारिश्रमिक से रोजमर्रा का खर्च निकालने की कोशिश करता हूं।

पल्लेदारों का हो पंजीकरण : पल्लेदारी करने वाले प्रमोद व सुशील ने कहा कि निर्माण कार्य क्षेत्र के श्रमिकों की तरह पल्लेदारों का भी श्रमविभाग में पंजीकरण कराया जाना चाहिए। श्रम विभाग में पंजीकृत श्रमिकों को लॉकडाउन के दौरान एक-एक हजार रुपये सरकार की ओर से मिला। पल्लेदारों को भी इसी तरह सहूलियत मिलनी चाहिए।

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