स्ट्राबेरी की खेती से बनाई प्रगति की राह
स्ह्लह्मड्ड2ढ्डद्गह्मह्म4 ष्ह्वद्यह्लद्ब1ड्डह्लद्बश्रठ्ठस्ह्लह्मड्ड2ढ्डद्गह्मह्म4 ष्ह्वद्यह्लद्ब1ड्डह्लद्बश्रठ्ठ
बाराबंकी : सूरतगंज ब्लॉक के ग्राम दौलतपुर गांव निवासी किसान अमरेंद्र ¨सह ने केला की खेती के बाद अब स्ट्राबेरी की खेती के जरिए प्रगति की राह बनाई है। केला में जहां एक एकड़ में ढाई लाख रुपये तक मुनाफा होता था वहीं स्ट्राबेरी में पांच लाख तक हो रहा है। अमरेंद्र ¨सह को देखकर अन्य किसानों का भी इस खेती के प्रति रुझान बढ़ा है।
इनकी स्ट्राबेरी लखनऊ की मंडी में आसानी से बिक जाती है। इसके अलावा केला की 13 माह की फसल होती है इसलिए उसके साथ हल्दी की सहफसली खेती भी शुरू की है। इससे मुनाफा दोगुना होगा।
स्वीट चार्ली प्रजाति की स्ट्राबेरी : अमरेंद्र ने एक एकड़ के खेत में महाराष्ट्र की स्वीट चार्ली व कामारोज किस्म की स्ट्राबेरी की फसल पैदा करते हैं। यह खाने में मीठी व गुणवत्ता परक होती है। एक पौधे में आधा किलो से एक किलो ग्राम तक स्ट्राबेरी फल प्राप्त होते हैं। चार से पांच सौ रुपये प्रति किलो की दर से बिकती है।
स्ट्राबेरी फसल की लागत एक एकड़ में तीन से साढ़े तीन लाख रुपये आती है। पांच से छह लाख रुपये मुनाफा होता है। फसल जनवरी माह के अंतिम सप्ताह से शुरू हो जाती है। म¨ल्चग विधि से मिट्टी की चौड़ी मेड़ बनाकर पौधे रोपे जाते हैं। ड्रिप ¨सचाई संयंत्र से ¨सचाई होती है। अमरेंद्र ने बताया कि महाराष्ट्र के जलगांव से वह बीज मंगाते हैं। गुणों से भरपूर है स्ट्राबेरी : लाल रंग का स्वादिष्ट फल स्ट्राबेरी में विटामिन सी, ए, के अलावा कैल्सियम, फास्फोरस और फाइबर पाए जाते हैं। इसमें कोलेस्ट्रॉल व फैट बहुत कम होता है। चेहरे की रंगत निखारने के लिए भी इसका प्रयोग कई तरह से किया जाता है।