'उपाकर्म संस्कार से मिलती है पापों से मुक्ति'

वैदिक मंत्रों के साथ मनाया गया श्रावणी उपाकर्म

By JagranEdited By: Publish:Tue, 24 Aug 2021 01:06 AM (IST) Updated:Tue, 24 Aug 2021 01:06 AM (IST)
'उपाकर्म संस्कार से मिलती है पापों से मुक्ति'
'उपाकर्म संस्कार से मिलती है पापों से मुक्ति'

बाराबंकी : श्रावण मास की पूर्णिमा पर रविवार को अखिल भारतीय चाणक्य परिषद की ओर से शैलानी माता मंदिर, दल्लूखेड़ा में श्रावणी उपाकर्म व संस्कृत दिवस मनाया। द्विजातियों ने मंदिर प्रांगण के प्राकृतिक जलस्त्रोत में गोमूत्र, सर्वोषधि, कुशोदक, गोरज आदि से दसविधि स्नान कर पंचगव्य पान कर आत्मशुद्धि की। पितरों व आत्मकल्याण के लिए संध्या तर्पण व मंत्रों के साथ हवन यज्ञ में आहुतियां दी गईं।

श्रावणी उपाकर्म उत्सव में वैदिक विधि से हेमादिप्राक्त, प्रायश्चित संकल्प, सूर्याराधन, दसविधि स्नान, तर्पण, सूर्योपस्थान, यज्ञोपवीत धारण, प्राणायाम, अग्निहोत्र व सप्तऋषियों का पूजन कराया गया। ब्राह्मणों ने सामूहिक मंत्रोच्चार कर शारीरिक, मानसिक व आध्यात्मिक शुद्धि कर सूर्य देवता को अ‌र्घ्य दिया।

अयोध्याधाम से आए वेदाचार्य रविकांत मिश्र ने कहा कि जो यज्ञोपवीत धारण करता है और द्विज है। उसे श्रावण शुक्ल पूर्णिमा को श्रावणी उत्सव अवश्य मनाना चाहिए। इसमें दसविधि स्नान करने से आत्मशुद्धि होती है व पितरों के तर्पण से उन्हें भी तृप्ति होती है।

श्रावणी उपाकर्म मनाना सभी द्विजों ( ब्राह्मण, क्षत्रिय व वैश्यों ) का अधिकार व कर्तव्य है। ब्राह्मणों को तो इस कर्म को किसी भी स्थिति में नहीं त्यागना चाहिए। उपाकर्म संस्कार से मनुष्य के वर्ष भर में मनसा वाचा कर्मणा ज्ञाताज्ञात रूप में किए सभी पापों से मुक्ति मिल जाती है। इसी सनातनी वैदिक ऋषि परंपरा से भारत विश्व गुरु बना था। आयोजक कन्हैया लाल मिश्र ने संस्कृत दिवस पर चर्चा करते हुए कहा कि संस्कृत विश्व की सबसे प्राचीन, विस्तृत व वैज्ञानिक भाषा है। आदिकालीन गुरुकुल परंपरा में आज के दिन से ही नए शैक्षिक सत्र का प्रारंभ बटुक ब्रह्मचारियों के यज्ञोपवीत के साथ प्रारंभ किया जाता रहा है। इसलिए श्रावणी पूर्णिमा को वैदिक मर्मज्ञ ऋषि पर्व व संस्कृत दिवस के रूप में मनाते हैं। यह विचारणीय है कि आज भी जन्म से मृत्यु पर्यंत किए जाने वाले सभी कर्मों में संस्कृत भाषा ही प्रयुक्त होती है।

प्रमोद तिवारी, पशुपतिनाथ मिश्र, डीके शुक्ल, सुधीर तिवारी, अतुल दुबे, दीपक मिश्रा, सुनीत अवस्थी, दिवाकर मिश्र, शशिकान्त मिश्र, अनुज सिंह, शशांक शर्मा, शिवाकांत मिश्र, सीताकांत स्वयंभू, गुरुशरण सिंह, अजय यादव, श्यामू पांडेय, रजनीश, शिवम सिंह उपस्थित रहे।

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