मूर्तियां बनाने वाले कैलाश अब लगा रहे मूंगफली का ठेला

घट गई गणेश और देवी प्रतिमाओं की मांग दूसरे काम करने पर विवश हैं मूर्तिकार

By JagranEdited By: Publish:Mon, 31 Aug 2020 11:29 PM (IST) Updated:Mon, 31 Aug 2020 11:29 PM (IST)
मूर्तियां बनाने वाले कैलाश अब लगा रहे मूंगफली का ठेला
मूर्तियां बनाने वाले कैलाश अब लगा रहे मूंगफली का ठेला

बाराबंकी : कोरोना संक्रमण काल ने माटी कला से जुड़े परिवारों को भी खासा प्रभावित किया है। मूर्ति विसर्जन, जुलूस, सभा और सामूहिक कार्यक्रमों पर प्रतिबंध के चलते इस बार श्रीगणेश की ही नहीं देवी प्रतिमाओं की मांग में भी खासी गिरावट आई है। इससे मूर्तिकारों को अपने परिवार के लिए दो वक्त की रोटी जुटाना मुश्किल हो रहा है। इस कारण अब वे दूसरे विकल्पों को अपनाने पर विवश हैं।

दरियाबाद के पूरेकामगार मजरे अलियाबाद निवासी मूर्तिकार कैलाश हर साल करीब तीन से चार लाख की मूर्तियां बनाते थे। चार लोगों के साथ मूर्तियों को आकार देने के साथ ही हुनरमंदी से उनमें रंग भरकर अपनी जिदगी में भी खुशियों के रंग भरते थे। वह बताते हैं कि लॉकडाउन के हालात को देखते हुए इस बार कारखाना नहीं डाले थे। पिछले साल चार लोगों के साथ मिलकर छोटी व बड़ी 35 मूर्तियां बनाई थी और मई से ही कारखाना डालते थे। इससे करीब एक लाख लगभग की बचत होती थी। लेकिन, इस बार परिवार के भरण पोषण के लिए अलियाबाद में मूंगफली का ठेला लगाने लगे हैं। अनाज तो सरकार दे रही है, लेकिन अन्य खर्चे भी है।

बाराबंकी नगर क्षेत्र में कोलकाता के दिलीप कमला नेहरू पार्क के पीछे मूर्तियां बनाते थे। लॉकडाउन में वह कोलकाता चले गए हैं।

दारोगा ने रोकवा दिया काम दरियाबाद क्षेत्र के ही मेहदीपुर मजरे श्यामनगर पूर्वी के मूर्तिकार तेजबहादुर बताते हैं कि पिछले 20 मूर्तियां बनाई थीं। मूर्तियों का ऑर्डर मिलने पर अगस्त के पहले सप्ताह से तीन मूर्तियां बनाने का काम शुरू हुआ था। आधी-अधूरी मूर्ति बन गई थी। दस दिन पहले हल्का एसआइ ने आकर मूर्ति बनाने का काम रोक दिया। तेज बहादुर के मुताबिक गोरखपुर आए कारीगर बुलाने की बात हो गई थी। इस बार बांस, पंडाल, पन्नी आदि सामग्री खरीदने में करीब 25 हजार रुपये खर्च हुए। पंडाल बनाया गया, लेकिन सारी मेहनत और रुपये पानी फिर गया है।

आधी रह गई डिमांड

रामसनेहीघाट : दरियाबाद रोड पर मूर्तियां तैयार करने वाले कोटवा सुलतानपुर के निवासी उमेश ने बताया कि इस बार कारोबार आधा रह गया है। उन्होंने बताया कि मूर्तियों को तैयार करवाने में धर्मवीर, चंद्रपाल, नंदू और कमलेश का भी सहयोग लेता हूं। पिछले वर्ष 55 हजार की मूर्तियों की बिक्री हुई थी। इस बार अब तक सिर्फ 25 हजार का ही आर्डर मिला है।

chat bot
आपका साथी