बाढ़ लिख रही दी बर्बादी की दास्तां
किसी का घर कटा तो किसी के खेत और फसलें बर्बाद सरकारी राशन ही दो वक्त की रोटी का सहारा
बाराबंकी: सरयू नदी की बाढ़ से सबसे ज्यादा प्रभावित गांव सिरौलीगौसपुर क्षेत्र के गोबरहा व तेलवारी की हालत बहुत ही खराब है। इन दोनों गांवों की आबादी व खेती की जमीन में हो रही कटान की हालत देखकर पीड़ितों के भविष्य को लेकर बरबस ही चिता की लकीरें चेहरे पर खिच जाती हैं। हर बाढ़ पीड़ित की अपनी-अपनी दास्तां है।
अलीनगर-रानीमऊ तटबंध के उत्तर दिशा में सनावां, गोबरहा व तेलवारी के साथ ही इन गांवों के आधा दर्जन पुरवा बसे हैं। तटबंध करीब 20 फिट ऊंचा है। ऐसे में तटबंध के दक्षिण दिशा के गांवों फसलें भी उगी हैं और उत्तर दिशा के लोग तटबंध व उसके नीचे दक्षिण दिशा में छप्पर व तिरपाल रखकर आवास भी बनाए हैं। गोबरहा से तेलवारी तक तटबंध पर करीब चार सौ से ज्यादा झोपड़ियां हैं। तटबंध पर ही पशु भी बांधे जाते हैं। बिजली की कोई व्यवस्था नहीं हैं।
तटबंध से गोबरहा गांव जाने के लिए बनी सड़क बाढ़ के पानी से जगह-जगह कट गई है। ऐसे में चार पहिया वाहन बहुत ही सावधानी से निकलते हैं। गांव के अंतिम छोर में रविनंदन द्विवेदी पक्के मकान की ओर से नदी की कटान तेज है। यहां कटान रोकने की कोशिश बाढ़ कार्य खंड की ओर से हो रहा है। मकान के सामने लंबी दूरी तक गन्ने की फसल है। मकान के कटते ही फसल सहित जमीन का नदी की आगोश में समाना तय है। तटबंध से तेलवारी गांव की सड़क की ढलान समाप्त होते ही पुलिया बनी थी जिसके दोनों तरफ सड़क कट चुकी है। तेलवारी के रामू साइकिल को कंधे पर उठाए हुए तटबंध की ओर आते दिखे। बताया, गांव में झिगुरी, अलखराम, मिश्री, उमेश सुरेश, राम अचल व सियाराम के घर नदी में कट चुके हैं। अशोक ने बताया कि मुख्य सड़क कट जाने से गांव को कोई वाहन नहीं जा सकता। बाढ़ कार्य खंड के अधिकारी कटान रोकने की बात तो दूर देखने भी नहीं जा रहे।
ऐसी बर्बादी कभी न देखी : तेलवारी के निकट तटबंध पर मिले झिगुरी ने बताया कि घर कटने के बाद तटबंध पर ही परिवार के 12 सदस्यों के साथ आ गए हैं। 16 बीघा जमीन कट गई। सरकारी राशन न मिल रहा होता तो भूखों मरना पड़ता। किन्नू व जगदीश ने बताया कि उनकी गन्ने की फसल भी एक महीने तक पानी में डूबी होने के कारण खराब हो गई है। इसी तरह राम सहारे, जगजीवन, राम प्रसाद, अवधेश आदि के परिवार बाढ़ की बर्बादी से बेहाल दिखे।