थम गई 'बदलाव की मुहिम', चुनाव में चुनौती बनेगी शराब

बाराबंकी पंचायत चुनाव में कच्ची शराब की बिक्री बढ़ती है जोकि विवाद का कारण बनती है।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 23 Feb 2021 12:44 AM (IST) Updated:Tue, 23 Feb 2021 12:44 AM (IST)
थम गई 'बदलाव की मुहिम', चुनाव में चुनौती बनेगी शराब
थम गई 'बदलाव की मुहिम', चुनाव में चुनौती बनेगी शराब

बाराबंकी : पंचायत चुनाव में कच्ची शराब की बिक्री बढ़ती है, जोकि विवाद का कारण बनती है। कच्ची शराब हत विभिन्न अवैध कारोबारों से जुड़े लोगों को मुख्यधारा से जोड़ने के लिए तत्कालीन पुलिस अधीक्षक डॉ. अरविद चतुर्वेदी ने कायाकल्प मिशन की पहल की थी। शुरुआत सूरतगंज ब्लॉक के कच्ची शराब के लिए कुख्यात रहे चैनपुरवा गांव में चौपाल लगाकर हुई थी। उन्हें रोजगार के अन्य विकल्प सुझाकर अवैध कारोबार से छोड़ने के लिए प्रेरित किया था। चैनपुरवा में सफलता मिलने के बाद शराब के लिए ही कुख्यात कुर्सी थाना के बेहड़पुरवा और तस्करी के लिए कुख्यात जैदपुर के टिकरा गांव में चौपाल लगाकर मिशन को गति दी थी। अरविद चतुर्वेदी के तबादले के बाद मुहिम थम गई है। अवैध कारोबार से मुंह मोड़ चुके लोगों के सामने रोजी-रोजी का संकट खड़ा हो गया है। इससे पंचायत चुनाव में यह कच्ची शराब पुलिस प्रशासन के सामने फिर चुनौती बनेगी। जागरण ने बदलाव की मुहिम से जुड़े गांवों की पड़ताल की। प्रस्तुत है रिपोर्ट..

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फ्लैश बैक :

देशभर में बिके थे चैनपुरवा ब्रांड के दीये

गांव की महिलाओं ने लाखों मोमबत्ती के दीये बनाए थे। उनको प्रोत्साहित करने के लिए जिला प्रशासन ने दीवाली से पहले जीआइसी ऑडीटोरियम में दीपोत्सव आयोजित कर उनहें सम्मानित किया था। चैनपुरवा ब्रांड के दीयों की आसपास के जनपदों के साथ ही दिल्ली, गुजरात सहित कई अन्य प्रांतों में इनकी आपूर्ति की गई थी। छह समूहों की साठ महिलाओं को माथे की बिदी बनाने, मिठाई के डिब्बे तैयार करने, मशरूम के उत्पादन, स्टोल में गांठ लगाने, मोमबत्ती व अगरबत्ती के साथ रोई के बत्तियां बनाने आदि के लिए प्रशिक्षित किया गया था। अब गांव में सभी काम ठप हैं।

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..अधूरा रह जाएगा सपना मुहिम से जुड़ी चैनपुरवा की सुंदरा ने बताया कि कप्तान साहब के जाने के बाद गांव में कोई अफसर सुधि लेने नहीं पहुंचा है। उनके जाने के बाद हम सब बेरोजगार हो गए हैं। बचत के पैसे से घरेलू खर्च चल रहे हैं। ऐसा ही रहा तो गांव की सूरत बदलने का सपना अधूरा ही रह जाएगा। सीता देवी कहती हैं कि अवैध कारोबार को छोड़ने के बाद उम्मीद थी कि दो वक्त की रोटी आसानी से जुटा सकेंगे, लेकिन अब दूसरों के यहां मजदूरी ही रास्ता बचा है।

बेहड़पुरवा के वंशराज बताते हैं कि कुर्सी थानाध्यक्ष शशिकांत यादव की ओर से ग्रामीणों को राशन मुहैया कराया जा रहा है। मनरेगा जॉबकार्ड बनाने, समूह को प्रोत्साहन मिलना तो दोबारा कोई टीम ही नहीं आई है।

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