लीड::: बारिश ने तोड़ा सात साल का रिकार्ड

हरदोई बेमौसम बरसात ने सात साल का रिकार्ड तोड़ दिया। जिले में सीजन गुजर जाने के बाद अक्टू

By JagranEdited By: Publish:Tue, 19 Oct 2021 10:59 PM (IST) Updated:Tue, 19 Oct 2021 10:59 PM (IST)
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हरदोई : बेमौसम बरसात ने सात साल का रिकार्ड तोड़ दिया। जिले में सीजन गुजर जाने के बाद अक्टूबर में सबसे अधिक रिकार्ड 58.2 मिमी बारिश हुई है। सात साल के बाद 58.2 मिमी बारिश रिकार्ड की गई।

इससे पूर्व वर्ष 2014 में पूरे अक्टूबर में 65 मिमी बारिश रिकार्ड की गई थी।

तीन दिन से लगातार रुक- रुक कर बारिश हो रही है। सोमवार को पूरे दिन और रात में बारिश होती रही। मंगलवार दोपहर बाद बारिश बंद हुई। विगत चौबीस घंटे में 40.8 मिमी बारिश रिकार्ड की गई। अक्टूबर माह में तीन दिन में 58.2 मिमी बारिश हो चुकी है। बारिश के कारण शहर में जगह-जगह जल भराव हो गया। इससे लोगों को आवागमन प्रभावित हुआ। वेधशाला प्रभारी आरसी वर्मा के अनुसार बारिश का सीजन एक जून से 30 सितंबर तक होता है। इस बार बारिश के मौसम में औसत 3733.5 मिमी बारिश के सापेक्ष 399 मिमी बारिश रिकार्ड की गई थी। जो काफी कम थी। अक्टूबर में अधिकांश भारी बारिश नहीं होती है। वर्ष 2014 में बारिश के सीजन के बाद अक्टूबर में 65 मिमी बारिश रिकार्ड की गई थी। वहीं इस बार तीन दिन में ही रिकार्ड 58.2 मिमी बारिश रिकार्ड की जा चुकी है। उन्होंने अगले दो दिन बारिश होने की संभावना व्यक्त की है।

----------- जिले को जल्द मिलेगी 2,920 मीट्रिक टन डीएपी

हरदोई : डीएपी की कमी को देखते हुए जिला प्रशासन सक्रिय हो गया है। जिलाधिकारी के प्रयास से जिले को इफको की 1,620 मीट्रिक टन डीएपी और निजी कंपनी की 1,300 मीट्रिक टन डीएपी जल्द मिलेगी।

जिला कृषि अधिकारी उमेश कुमार साहू ने बताया कि जनपद में 5400 मीट्रिक टन डीएपी उपलब्ध है। इफकों की एक रैक बुधवार को रेलवे रैक प्वाइंट पर पहुंचेगी, जिसमें डीएपी की मात्रा 1,620 मैट्रिक टन और एनपीके की मात्रा 1,559 मैट्रिक टन है। निजी क्षेत्र कंपनी से 1,300 मैट्रिक टन डीएपी का आवंटन मिला है, जिसकी रैक इसी सप्ताह आने की उम्मीद है। उन्होंने कहा कि किसानों को डीएपी के लिए चितित होने की जरूरत नहीं है। जिला कृषि अधिकारी ने कहा कि जिन खेतों में जिप्सम का प्रयोग नहीं हुआ है उनमें डीएपी के स्थान पर एनपीके के प्रयोग को वरीयता दी जाए। बताया कि डीएपी में मात्र नाइट्रोजन और फास्फोरस होता है, जबकि एनपीके में नाइट्रोजन, फास्फोरस के साथ-साथ पोटाश और सल्फर होता है। जो आलू और सरसों के उत्पादन में अधिक लाभकारी है।

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