झील को संरक्षित करने की कवायद, तालाबनुमा बनाए नौ खंड
खेतों में तब्दील हो चुकी नेवली झील को संरक्षित करने की कवायद का असर दिखने लगा है। करीब दो साल पहले नवाबगंज तहसील के तत्कालीन एसडीएम अजय कुमार द्विवेदी ने किसान पथ निर्माण और सरकारी कार्यों के लिए इसके कुछ हिस्से की मिट्टी निकलवाई थी। मिट्टी निकाले जाने के बाद गहरे हुए स्थान को तालाबनुमा नौ खंडों में बांटकर मछली पालन के लिए आवंटित कर दिया गया था।
प्रेम अवस्थी, बाराबंकी
खेतों में तब्दील हो चुकी नेवली झील को संरक्षित करने की कवायद का असर दिखने लगा है। करीब दो साल पहले नवाबगंज तहसील के तत्कालीन एसडीएम अजय कुमार द्विवेदी ने किसान पथ निर्माण और सरकारी कार्यों के लिए इसके कुछ हिस्से की मिट्टी निकलवाई थी। मिट्टी निकाले जाने के बाद गहरे हुए स्थान को तालाबनुमा नौ खंडों में बांटकर मछली पालन के लिए आवंटित कर दिया गया था। इससे न सिर्फ झील में पानी ठहरा बल्कि लोगों को स्वावलंबी बनाने में भी मददगार साबित हुई।
अतिक्रमण कर की जा रही थी खेती
जिला मुख्यालय से हैदरगढ़ मार्ग के किनारे हरख ब्लाक मुख्यालय से करीब एक किलोमीटर दूर नेवली झील है। यह ग्राम पंचायत गाल्हामऊ, नेवली व भगवानपुर गांव की परिधि में आती है। इसके आसपास खेत भी हैं। करीब 15 साल पहले झील के मध्य से नाला बना दिया गया। इससे झील का पानी रारी नदी में जाने लगा। इससे धीरे-धीरे झील समतल हो गई और लोग अतिक्रमण कर खेती करने लगे थे। संरक्षण के लिए किए गए प्रयास
दो साल पहले करीब 300 बीघा रकबे में फैली इस झील के पुनरोद्धार के लिए तत्कालीन डीएम उदयभानु त्रिपाठी ने तत्कालीन एसडीएम अजय कुमार द्विवेदी को निर्देशित किया। इस पर एसडीएम ने झील की करीब 100 बीघा जमीन को अतिक्रमण मुक्त कराने के साथ ही इसकी मिट्टी खोदवाकर लखनऊ के किसान पथ निर्माण के लिए दी। इससे झील की मिट्टी निकलवाने में सरकारी खजाने से एक पाई भी नहीं लगी और काम भी हो गया। झील का संरक्षण के साथ ही मछली पालन से लोगों को स्वरोजगार देने के लिए तालाबनुमा नौ खंड बनवाए गए। तालाबों के तटबंधों पर केला के साथ ही अन्य फूल व सजावटी पौधे लगाए गए हैं। इससे हरियाली भी हो गई है।