आइएएस, इंजीनियर व चिकित्सक बनना है मेधावियों का सपना
-अधिकांश छात्र बोले-परीक्षा होती तो बेहतर होता
बाराबंकी : कोरोना काल के चलते बिना परीक्षा दिए सीआइएससीई के घोषित किए गए परिणाम पर लोगों की मिलीजुली प्रतिक्रिया रही। कुछ छात्रों ने जहां इसे साल की बर्बादी बचाने वाला बताया तो मेधावियों में रेटिग तय न होने और अपेक्षित परिणाम नहीं आने से मायूसी भी दिखी। काउंसिल फार द इंडियन स्कूल सर्टिफिकेट एक्जामिनेशन (सीआइएससीई) का परिणाम शनिवार की शाम को जैसे ही घोषित हुआ स्कूलों में हलचल बढ़ गई।
छात्रों में दिखा उत्साह : 96.6 फीसद अंक हासिल करने वाली आनंद भवन स्कूल की छात्रा हिमाद्री शेखर गुप्ता इंजीनियर बनना चाहती हैं। कालेज की ही 96.2 फीसद अंक हासिल करने वाली वजीहा रिजवी का सपना आइएएस बनकर देश की सेवा करना है। वह परीक्षा परिणाम से संतुष्ट है। श्रेया त्रिपाठी ने 94.8 व तन्मय वर्मा ने 94.4 अंक हासिल किया है। सैयद मोनिस सरवर ने भी 94.4 फीसद अंक हासिल कर कालेज का नाम रोशन किया है। ज्यादातर मेधावी परीक्षा कराए जाने को बेहतर मानते हैं। 96.6 फीसद अंक हासिल करने वाले किग जार्ज इंटर कालेज के अमृतांश शंकर तिवारी अपनी मां रूमा तिवारी को आदर्श मानते हैं। वह चिकित्सक बनना चाहते हैं। यहीं की श्रेया गुप्ता ने 94.8 फीसद व गुलरिया गार्दा की अक्षरा रस्तोगी ने 91 फीसद अंक हासिल कर मान बढ़ाया है। लाजपतनगर के हर्ष टंडन के पुत्र रिशित टंडन ने 10वीं की परीक्षा में 92 फीसद अंक हासिल किए हैं। इंटरमीडिएट छात्रों का भी दबदबा : आनंद भवन स्कूल के छात्र कार्तिकेय ने 12वीं की परीक्षा में 99.25 और किग जार्ज इंटर कालेज के अरसलन वली ने 95.5 फीसद अंक हासिल किए हैं। अरसलन सेल्स मार्केटिग बीमा में जाना चाहते हैं। किग जार्ज की ही 92 फीसद अंक हासिल करने वाली अरीबा नदीम का सपना आइएएस बनना है। लाजपतनगर के रोहन बागवानी ने 94.5 फीसद अंक हासिल किया है। आनंद भवन की महिमा मिहिर ने 97.75, उत्कर्ष सिन्हा ने 96.5 फीसद अंक हासिल किया है। किग जार्ज के छात्र फरहान ने बारहवीं की परीक्षा में 95.75 फीसद व रसूलपुर की खुशी ने 95.5 फीसद अंक प्राप्त किए हैं। खुशी की जज बनने की तमन्ना है। लखनऊ के इम्मा थामसन स्कूल की बारहवीं की छात्रा वैष्णवी जायसवाल ने 89 फीसद अंक हासिल किए हैं। -------------------- कोविड के कारण अगर परीक्षा नहीं हुई तो यह बेहतर कदम था, लेकिन कुछ विषयों में बच्चे अच्छा कर सकते थे। बच्चों को उनकी मेहनत के हिसाब से नंबर नहीं मिल सके।
-रूमा तिवारी, प्रधानाचार्य, किग जार्ज इंटर कालेज, बाराबंकी।
------
बच्चों ने जितनी मेहनत की थी उसी के अनुरूप उन्हें परिणाम मिले है। कोरोना काल में बोर्ड की ओर से जो निर्णय लिया गया वह बेहतर कदम है। बच्चों का रिजल्ट भी बेहतर रहा है।
-अर्चना थामस, प्रधानाचार्य, आनंद भवन स्कूल।