बागों की छटाई पर भी सरकार देगी अनुदान
बाराबंकी आम के पेड़ों का ऐसा भी समय आता है जब फलत क्षमता में गिरावट आने लगती है। 40-5
बाराबंकी: आम के पेड़ों का ऐसा भी समय आता है, जब फलत क्षमता में गिरावट आने लगती है। 40-50 वर्षों के बाद पेड़ फल देना बंद कर देते हैं। ऐसे में पेड़ों को तने के बीच से काटकर 10 से 15 वर्ष तक और जिदगी दी जा सकती है।
पेड़ों की छंटाई दिसबंर माह में किया जाता है। बागों के जीर्णोंद्वार के लिए सरकार प्रति हेक्टेयर 20 हजार रुपये अनुदान देगी। जिले को पांच हेक्टेयर का लक्ष्य मिल चुका है, उद्यान विभाग के कार्यालय में पंजीकरण भी शुरू हो गया है।
20 वर्ष के बाद गिरने लगती है फल देने की क्षमता : कलमी, चौसा, लगंड़ा, बीजू व देसी आदि आम होते हैं। इन प्रजातियों में चौसा व देसी आम के पेड़ 40 से 50 वर्ष तक फल देते हैं, उसके बाद क्षमता खत्म हो जाती है। इंडियन रिसर्च हार्टीकल्चर बैंगलुरू के अनुसार आम के पेड़ों में 20 वर्ष तक फल देने की क्षमता अधिक रहती है, लेकिन 20 वर्ष के बाद प्रति वर्ष फलत गिरता जा जाता है। इनसेट : कैसे वृक्षों की बढ़ाएं उम्र जिला उद्यान अधिकारी महेश कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि 40-50 वर्षों के बाद आम के पेड़ फल देना बंद कर देते हैं, जो अनार्थिक होते है। आर्थिक बनाने के लिए कृषकों को छत्र प्रबंधन का तरीका अपनाना चाहिए। छत्र प्रबंधन का मतलब है कि पुराने पेड़ों के बीच से तना काटकर डालियां निकाल देना। यह कार्य दिसंबर माह में किया जाता है। तना काटने के बाद बागवान समय-समय पर कीटनाशक का छिड़काव और सिचाई करते रहना चाहिए। 30 से 45 दिनों के बाद उसमें कोपल आना शुरू हो जाएगा। छत्र प्रबंधन के बाद उस पुराने पेड़ की उम्र 10 से 15 वर्ष तक और बढ़ जाती है।
--------------- फैक्ट फाइल
आम की बागों का रकबा -18000 हेक्टेयर 30 वर्ष से अधिक पुरानी बागें-5000 हेक्टेयर
उत्पादन प्रति हेक्टेयर -13 से 15 मीट्रिक टन आम उत्पादन : दो लाख 80 हजार मीट्रिक टन ------
इनसेट : जिले में हैं इन किस्मों की बागें उगने वाली प्रजाति - 16 प्रकार की किस्में
दशहरी चौसा
हुसनवारा याकूती
गुलाब खास सुरखा
बनारस का लंगड़ा फजली
बंबई किशन भोग
नीलम वनराज
देसी अम्रपाली
रामकेला सफेदा