लॉकडाउन में बाढ़ पीड़ितों पर समस्याओं की दोहरी मार
रिश्तेदारों का भी नहीं मिल रहा सहारा
बाराबंकी : लॉकडाउन में बाढ़ पीड़ितों पर दोहरी मार पड़ रही है। वह तो बाहर कमाने जा सकते हैं और न ही उन्हें रिश्तेदारों का सहारा मिल पा रहा। रिश्तेदार कोरोना संक्रमण की आशंका के चलते वैसे भी दूरियां बना रहे हैं।
घाघरा नदी की बाढ़ से प्रभावित रामनगर तहसील क्षेत्र के ग्राम कोरिनपुरवा मजरे तपेसिपाह निवासी प्रकाश का प्रधानमंत्री आवास नदी की कटान के मुहाने पर है। ऐसे में प्रकाश ने आवास का आधा हिस्सा तोड़कर उसका मलबा बाहर निकालकर रखा है। तपेसिपाह तटबंध पर तिरपाल तानकर प्रकाश अपनी पत्नी व सात बच्चों के साथ रह रहा है। प्रकाश ने बताया कि पहले जब बाढ़ आती थी तो बच्चों को ननिहाल भेज देता था। लेकिन, लॉकडाउन के चलते हर परिवार में दो वक्त की रोटी के लाले हैं। इसके साथ ही कोरोना संक्रमण का खतरा है।
इस बार बाढ़ से परिवार की तबाही पहले से ज्यादा बढ़कर आई है, पर बच्चों का ननिहाल से बुलावा नहीं आया। राशनकार्ड पर राशन मिल रहा है। उसी से गुजारा हो रहा है। इसी गांव के दत्ता का मकान भी नदी के मुहाने पर होने के चलते उसने भी तोड़कर मलबा बाहर उठाना शुरू कर दिया है। दत्ता का भी यही कहना है कि इस बार कोई रिश्तेदार भी मदद नहीं कर रहा। यही हाल जैनपुरवा, मल्हानपुरवा, सिसौडा, बुधईपुरवा, लहड़रा, ऐमा, हरिनरायणपुर गांव के बाढ़ पीड़ितों का है।