फसल की जरूरत के मुताबिक ही डालें उर्वरक
दैनिक जागरण के फेसबुक पर वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक शैलेश कुमार सिंह ने दी सलाह
बाराबंकी: कृषि विज्ञान केंद्र हैदरगढ़ के वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक एवं कृषि विज्ञान केंद्र हैदरगढ़ के अध्यक्ष डॉ. शैलेश कुमार सिंह ने शुक्रवार को फेसबुक लाइव में किसानों को महत्वपूर्ण जानकारियां दीं। उन्होंने फसलों की जरूरत के मुताबिक ही उर्वरकों का प्रयोग करने को कहा। धान की फसल में यूरिया का छिड़काव संतुलित रूप से करने के लिए किसानों को जागरूक करते हुए बताया कि ज्यादा यूरिया व अन्य कोई खाद डालने से उत्पादन नहीं बढ़ता। मिट्टी की जांच कराने के बाद खेत की जरूरत के मुताबिक खाद का प्रयोग करना चाहिए। उन्होंने कहा कि धान की फसल में जब कल्ले निकलने लगें तब तथा इसके बाद जब बालियां निकलने लगें तो यूरिया का छिड़काव किया जाना चाहिए।
उन्होंने कई लोगों के सवाल पर बताया कि केला के पौधे रोपने का समय है। केला के पौधे में रासायनिक खाद के बजाय गोबर की खाद, वर्मी कंपोस्ट व नीम की खली का प्रयोग काफी लाभदायक होगा। धान की फसल में रोग नियंत्रण के ²ष्टिगत उन्होंने बीज शोधन की बात पर बल दिया। कहा कि ट्राइकोडर्मा से बीज शोधन के बाद जब नर्सरी होगी तो उसमें बीज जनित रोग नहीं होंगे। फलदार पौधों में दीमक लगने की समस्या के निदान के लिए नीम की खली डालने का सुझाव दिया। उन्होंने बताया कि मिट्टी की जांच के लिए नमूना गेहूं की फसल कटने के बाद लेना चाहिए। इसके बाद इससे धान की फसल रोपने के पहले आपको अपने खेत की मिट्टी की जरूरत का पता रहेगा। तब उसी के मुताबिक आवश्यक रसायन का उपयोग कर सकेंगे।
उन्होंने कहा कि अच्छी फसल लेने के लिए समय पर उसे बोना बहुत जरूरी होता है। इसके साथ ही बीज प्रमाणित आधारीय एवं अच्छे होने चाहिए। फसल की उत्पादकता बीज की गुणवत्ता पर निर्भर करती है।