अवैध कारोबार में बनाए जाते हैं राकेट, गोला जैसे खतरनाक पटाखे

जैदपुर मसौली रामसनेहीघाट रामनगर सूरतगंज ऐसे क्षेत्र हैं जहां पटाखों का करोड़ों का कारोबार होता है। जिले में करीब 52 लाइसेंस हैं जिनमें अधिकांश लाइसेंसों का नवीनीकरण नहीं हुआ है।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 25 Oct 2021 11:22 PM (IST) Updated:Mon, 25 Oct 2021 11:22 PM (IST)
अवैध कारोबार में बनाए जाते हैं राकेट, गोला जैसे खतरनाक पटाखे
अवैध कारोबार में बनाए जाते हैं राकेट, गोला जैसे खतरनाक पटाखे

बाराबंकी : जैदपुर, मसौली, रामसनेहीघाट, रामनगर, सूरतगंज ऐसे क्षेत्र हैं, जहां पटाखों का करोड़ों का कारोबार होता है। जिले में करीब 52 लाइसेंस हैं, जिनमें अधिकांश लाइसेंसों का नवीनीकरण नहीं हुआ है। इसके बावजूद कारोबार जारी है। दीवाली के लिए जखीरा तैयार हो रहा है, जिसमें प्रतिबंधित खतरनाक (धमाके) वाले पटाखे गोला और राकेट भी बड़े पैमाने पर बनाए जा रहे हैं। आतिशबाजों का कहना है कि खतरनाक पटाखों की डिमांड अधिक हैं, इसलिए इन्हें बनाना पड़ता है। यहां होता है प्रदेशस्तरीय कारोबार : जैदपुर कस्बे में पटाखों का कारोबार बड़े पैमाने पर किया जाता है। यहां तक जैदपुर कस्बा पूरे प्रदेश में इसके कारोबार के लिए चर्चित है। आतिशबाजी की सप्लाई सूबे के विभिन्न हिस्सों में की जाती है। यह होते हैं खतरनाक पटाखे :

जैदपुर : गुलाम वारिस आतिशबाज ने बताया कि गोला, अनार, महताब, ताबीज वाले पटाखे, सेवा काशी लखनऊ से खरीद कर लाए जाते हैं। राकेट वाले पटाखे ज्यादा खतरनाक होते हैं। पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने वाले पटाखे अनार, महताब, हवाई व आसमान को छूने वाले आतिशबाजी, लड़ी, पुलपुल, फुलझड़ी, चकरी जैसे पटाखे हैं जो धुआं अधिक करते हैं। सांप-टैबलेट केवल नौ सेकेंड तक जलती है पर यह सबसे ज्यादा नाइट्रोजन का उत्सर्जन करता है। इनसे प्रदूषण अधिक फैलता है।

धुआं व आवाज स्वास्थ्य के लिए हानिकारक : नेत्र रोग विशेषज्ञ डा. संजय बाबू ने बताया कि पटाखों की वजह से चिड़चिड़ापन, अनिद्रा, आंखों में लालिमा व खुजलाहट, कान के पर्दे पर असर या बहरापन हो सकता है। सांस की नली में खुजलाहट, सांस लेने में दिक्कत, अस्थमा, ब्लड प्रेशर बढ़ना, यहां तक की हार्ट अटैक व पक्षघात का भी खतरा रहता है। पटाखों से निकलती है यह गैस : चिकित्सक बताते हैं कि तेज आवाज वाले पटाखों में बारूद, चारकोल, नाइट्रोजन और सल्फर जैसे रसायनों का इस्तेमाल बहुत ज्यादा होता है, जिससे चिगारी, धुआं और तेज आवाज निकलती है। ऐसे पटाखों के कारण केमिकल्स गैस के रूप में हवा में फैल जाते हैं, ये सेहत के लिए बेहद हानिकारक हो सकते हैं। पटाखे जलाने से पहले पेस सील्ड का प्रयोग करें।

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