छाया ही नहीं औषधि भी देते हैं नीम और बरगद

बाराबंकी जिले की 44 पौधशालाओं में नीम और बरगद के पौधे हैं। जिनमें 80 हजार 264 पौधे नीम के हैं और 9795 बरगद के पौधे तैयार हैं।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 04 Jul 2020 01:08 AM (IST) Updated:Sat, 04 Jul 2020 06:02 AM (IST)
छाया ही नहीं औषधि भी देते हैं नीम और बरगद
छाया ही नहीं औषधि भी देते हैं नीम और बरगद

बाराबंकी

छाया और औषधि कोई दे सकता है तो वह नीम और बरगद के पेड़ हैं। यह पर्यावरण को भी शुद्ध करने में सर्वाधिक काम करते हैं। इनकी जिले में कमी न हो, इसके लिए हर नर्सरी में नीम और बरगद के पौधे उगाए गए हैं। इन पौधों में देश की संस्कृति भी छिपी हुई है और लोग इन पौधों को पूजते भी हैं।

जिले की 44 पौधशालाओं में नीम और बरगद के पौधे हैं। जिनमें 80 हजार 264 पौधे नीम के हैं और 9795 बरगद के पौधे तैयार हैं। हर किसान को फलदार के साथ मुफ्त में यह पौधे भी एक-एक दिए जाएंगे। ताकि जिले को औषधि पौधों से सजाया जा सके।

भगवान का प्रतीक है बरगद : बरगद का वृक्ष ब्रह्मा, विष्णु, महेश भगवान का प्रतीक है। कहा जाता है कि बरगद की छाल में विष्णु, जड़ में ब्रह्मा और शाखाओं में शिव का वास होता है। यह प्रकृति के सृजन का प्रतीक है, इसलिए संतान के इच्छित लोग इसकी विशेष पूजा करते हैं। यह पर्यावरण की ²ष्टि से भी महत्वपूर्ण है। इसकी जड़ें मिटटी को पकड़कर रखती हैं और पत्तियां हवा को शुद्ध करती हैं। यह कफ पित्त नाशक, रक्त शोधक, गर्भाशय शोधक और शोथहर है। इसके पत्तों और जटाओं को पीसकर लेप लगाना त्वचा के लिए लाभकारी है। इसके अलावा तमाम बीमारियों में प्रयोग होता है। रामनगर विकास खंड के ग्राम ददौरा में एक विशालकाय बरगद का वृक्ष है, जिसके नीचे लोगों को छाया ही नहीं मिलती, बल्कि लोग श्रद्धा से पूजते भी हैं।

मधुमेह में अत्यधिक लाभकारी है नीम : जिले में 80 हजार से अधिक नीम के पौधे लगाए जाएंगे। नीम का प्रयोग शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए किया जाता है। यह जीवाणु नाशक, रक्तशोधक व त्वचा विकारों में गुणकारी है। नीम के उपयोग से त्वचा की खसरा जैसी भयंकर बीमारियां भी दूर होती हैं।

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