फसल के दाम की बारी आई तो लाचार हुआ अन्नदाता

संवाद सहयोगी नरैनी अन्ना गोवंशों से फसलों की रखवाली में अन्नदाता ने चार माह रतजगा किया। क

By JagranEdited By: Publish:Mon, 30 Nov 2020 05:33 PM (IST) Updated:Mon, 30 Nov 2020 05:33 PM (IST)
फसल के दाम की बारी आई तो लाचार हुआ अन्नदाता
फसल के दाम की बारी आई तो लाचार हुआ अन्नदाता

संवाद सहयोगी, नरैनी : अन्ना गोवंशों से फसलों की रखवाली में अन्नदाता ने चार माह रतजगा किया। कड़ी मेहनत और बड़ी पूंजी लगाकर धान की फसल तैयार की। अब दाम की बारी आई तो वह विवश नजर आ रहा है। इस समय किसानों के यहां कहीं बेटियों के हाथ पीले होने हैं तो कहीं बेटों की बारात जानी है। इस समय खेतों की सिचाई व बुवाई का काम भी चल रहा है। ऐसे में किसानों को रुपयों की सख्त जरूरत है। वह अपनी उपज लेकर केंद्र में जा रहे हैं, लेकिन नमी ज्यादा होने की बात कहकर उन्हें लौटा दिया जाता है। किसानों के पास इतना समय नहीं हैं कि वह हफ्तों धान को सुखवाएं। ऐसे में मजबूर अन्नदाता आढ़तियों के यहां लुटने को मजबूर हैं। तमाम किसान ऐसे हैं जो कर्ज लेकर इलाज कराते रहे या फिर बच्चों की पढ़ाई लिखाई में पूंजी लगा कर्ज बढ़ा लिया है। अब उन्हें जल्द धान बेचकर इसे चुकता करने की जल्द बाजी है। जागरण टीम ने धान बेचने के लिए केंद्रों के चक्कर लगा रहे कई ऐसे किसानों से बात की तो सभी ने खुलकर अपनी पीड़ा जाहिर की।

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क्या कहते हैं अन्नदाता

-खाद-बीज व सिचाई के लिए रुपयों की जरूरत है। इसलिए जल्दबाजी में क्रय-विक्रय समिति धान खरीद केंद्र में धान बेचना पड़ा। उन्हें पल्लेदारी भी पूरी देनी पड़ी। जरूरत न होती आराम से बेंचते।

-किसान तुलसीदास यादव, पनगरा

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-धान तो क्रय केंद्र में बेच बेच दिया, पर खतौनी का सत्यापन न हो पाने के कारण भुगतान में अड़चनें आ रही है। बड़ा परिवार है और शादी होने के कारण खर्च की बेहद जरूरत है। इसलिए धान बेचना पड़ा। भुगतान अभी तक नहीं हुआ।

-किसान बेटालाल पटेल, भवई

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-खतौनी में गड़बड़ी होने के कारण अपना धान नहीं बेच पा रहे हैं। परिवार में दो-दो शादियां हैं। लेखपाल भी मौके पर नहीं मिल पाते हैं, जिससे खतौनी दुरुस्त कराई जा सके। ऐसी स्थिति में घरेलू कार्य बाधित हैं। आढ़ती के यहां धान बेचने की मजबूरी है।

-किसान विनय कुमार, परसहर

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-उनका धान 15 दिन पहले खेत से तैयार होकर आ गया था। धान लेकर खरीद केंद्र गए, पर अधिक नमी बता केंद्र प्रभारी ने लौटा दिया। नाते-रिश्तेदारी में शादियां हैं, इससे पैसे की जरूरत है। कम भाव में बेंचना उनकी मजबूरी है।

-किसान रामकेश निषाद, ग्राम शाहपाटन

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-किसान धान बेचने की जल्दबाजी में हैं। जबकि इस समय धान में नमी ज्यादा आ रही है। 17 फीसद नमी का मानक है। धान में 20 फीसद से ऊपर नमी निकल रही है। ऐसे में यदि खरीदते हैं तो उन्हें ही नुकसान उठाना पड़ेगा।

-कृष्ण कुमार त्रिपाठी, केंद्र प्रभारी, क्रय-विक्रय समिति नरैनी

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-किसानों को धान बेचने में जल्दबाजी नहीं करनी चाहिए। 28 फरवरी तक खरीद चलनी है। किसी का धान रह नहीं जाएगा। यह जिम्मेदारी है। नंबर लगाएं फिर केंद्र में धान लेकर जाएं, जिससे वहां भीड़ व मारामारी न हो।

-गोविद उपाध्याय, जिला खाद्य विपणन अधिकारी, बांदा

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