वर्षों से बंद पड़ी पानी की टंकी, भटक रहे ग्रामीण
जल परियोजना बदहाल है। एक वर्ष पहले टंकी का सर्वे कर इसे चालू कराने का प्रयास किया गया लेकिन बाद में कुछ नहीं हुआ। गांव की ढाई हजार की आबादी पेयजल को लेकर परेशान है। लोगों के घरों में अरसे से पानी की आपूर्ति नहीं हुई। तहसील क्षेत्र के खैरेई गांव में चार दशक पूर्व 45 हजार लीटर क्षमता की पेयजल टंकी का निर्माण हुआ था। तब टंकी से पाइपलाइन के जरिए गांव के पांच सार्वजनिक स्थानों में स्टैंड पोस्ट लगाए गए थे। जुग्गी लाल यादव राजाराम द्विवेदी
संवाद सहयोगी, पैलानी : खैरेई गांव में वर्षों से बंद पड़ी पेयजल परियोजना बदहाल है। एक वर्ष पहले टंकी का सर्वे कर इसे चालू कराने का प्रयास किया गया, लेकिन बाद में कुछ नहीं हुआ। गांव की ढाई हजार की आबादी पेयजल को लेकर परेशान है। लोगों के घरों में अरसे से पानी की आपूर्ति नहीं हुई।
तहसील क्षेत्र के खैरेई गांव में चार दशक पूर्व 45 हजार लीटर क्षमता की पेयजल टंकी का निर्माण हुआ था। तब टंकी से पाइपलाइन के जरिए गांव के पांच सार्वजनिक स्थानों में स्टैंड पोस्ट लगाए गए थे। जुग्गी लाल यादव, राजाराम द्विवेदी, कृष्ण प्रकाश गुप्ता, रामसनेही वर्मा, मइयादीन निषाद के दरवाजे के पास स्टैंड पोस्ट आज सूखे पड़े हैं। इन नलों पर मोहल्ले के लोग पानी भरने के लिए लाइन लगाए रहते थे। निर्माण के बाद महज 3 वर्ष तक ही पानी की आपूर्ति हुई। खैरेई गांव के बाशिदे पेयजल समस्या से जूझते चले आ रहे हैं। 45 हजार लीटर क्षमता वाली जल संस्थान की टंकी अब खंडहर में बदल रही है।पाइन लाइन और पानी की टंकी बदहाल होने के कारण यहां आपूर्ति नहीं की जाती है।
इस गांव में 2266 की आबादी है। एक मजरा उसरा पुरवा भी इसमें लगता है। मजरे में साड़ी के अमान डेरा में बनी पानी की टंकी से आधे मोहल्लों पर ही पानी पहुंच रहा है। वॉल्वमैन संतराम ने बताया कि करीब 6 वर्ष पहले जल संस्थान की टंकी की सफाई कराई गई थी।
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क्या कहते हैं ग्रामीण :
-गांव के लोगों को केन नदी से बैलगाड़ी के माध्यम से पानी लाना पड़ता था। कुछ हैंडपंप लग जाने से काफी राहत मिली है।
-अर्जुन यादव
-जब से टंकी बंद हुई है तब से पेयजल समस्या में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। हैंडपंपों में लंबी-लंबी लाइन सुबह से शाम तक लगती है।
-पुरुषोत्तम तिवारी
-टंकी भरने के बाद शुरुआती दौर में राजाराम द्विवेदी वाल्वमैन के कारण नियमित पानी मिलता था। लेकिन अब जर्जर टंकी देखकर वह लोग भी मायूस हैं। किसी भी वक्त आंधी-पानी में यह टंकी भरभरा कर गिर सकती है।
-नवल किशोर
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बोले ग्राम प्रधान :
वर्ष 2019 में जल संस्थान की टंकी की भौगोलिक स्थिति जानने के लिए लखनऊ से जल संस्थान के अधिकारियों ने सर्वे किया था। दूसरी जगह खाली जमीन तिराहे के पास 6 बिस्वा देखी थी। इसे पास करके चले गए थे। लेकिन एक वर्ष बीत गया, कुछ नहीं हुआ।
-महावीर निषाद,ग्राम प्रधान
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-जल संस्थान से खैरेई गांव में वर्षों से पेयजल परियोजना बंद होने की वजह पता करेंगे। इसके चालू कराने के लिए जो भी होगा वह कराएंगे।
-रामकुमार, एसडीएम, पैलानी