मनरेगा में जल प्रबंधन पर रहेगा अब शासन का जोर
लगभग डेढ़ दशक से ज्यादा समय से संचालित मनरेगा योजना के अंतर्गत जिले के आठ विकास खंडों में एक लाख
जागरण संवाददाता, बांदा : रोजगार व विकासपरक मनरेगा योजना के क्रियान्वयन में ग्रामीणों की भागीदारी के साथ नए श्रम बजट में प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन (एनआरएम) के कार्यों को बढ़ावा मिलेगा। ताकि जल व प्राकृतिक संसाधनों को बढ़ावा दिया जा सके। वर्ष 2019-20 के लिए शासन द्वारा जारी किए गए दिशा-निर्देश में एनआरएम के कार्यों को प्रमुखता दी गई है। तकरीबन 65 फीसद धनराशि प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन में खर्च होगी।
मनरेगा भारत सरकार की एक ऐसी महत्वाकांक्षी योजना है जिसे रोजगार सृजन के उद्देश्य से संचालित किया जा रहा है। इसके पारदर्शी क्रियान्वयन के लिए कई चरणों में निगरानी की व्यवस्था चल रही है। शासन के निर्देश पर 2 अक्टूबर से ग्राम पंचायतों में इसका क्रियान्वयन शुरू हो जाएगा। अब कार्ययोजना बनाने में मनमानी नहीं चलेगी, बल्कि धरातल पर जरूरत के हिसाब से ही अमलीजामा पहनाने की तैयारी की गई है। वर्ष 2019-20 के श्रम बजट के लिए इस बार भी ग्राम पंचायतों में गांव वालों की रायशुमारी से कार्य तय होगा। गांव वालों के सुझाव के बाद प्रधान, पंचायत सचिव, रोजगार सेवक व अन्य संबंधित अधिकारियों-कर्मचारियों की टीम द्वारा कार्ययोजना तैयार की जाएगी।
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पौने दो लाख से अधिक हैं जॉबकार्ड धारक :
लगभग डेढ़ दशक से ज्यादा समय से संचालित मनरेगा योजना के अंतर्गत जिले के आठ विकास खंडों में एक लाख 88 हजार जॉबकार्ड धारक हैं। जिनके लिए कार्य दिवस सृजित किए जाते हैं। विभागीय आंकड़ों के मुताबिक जिले में 50 हजार से अधिक कार्य भी पूरे कराए जा चुके हैं। जिनकी जियो टैगिग का कार्य चल रहा है।
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-नए वित्तीय वर्ष के श्रम बजट में जल संरक्षण पर ज्यादा कार्य कराने के निर्देश मिले हैं। मनरेगा में प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन पर विशेष जोर रहेगा ताकि जल व पर्यावरण संरक्षण के कार्यों को और प्रमुखता दी जा सके।-आरपी मिश्रा, प्रभारी सीडीओ