जलकुंभी व खरपतवार ने रोका नहर का बहाव, मोहल्ला बना टापू

संवाद सहयोगी बबेरू बारिश के पहले नहरों की साफ-सफाई कर किस तरह बंदरबांट का खेल ि

By JagranEdited By: Publish:Mon, 02 Aug 2021 05:09 PM (IST) Updated:Mon, 02 Aug 2021 05:09 PM (IST)
जलकुंभी व खरपतवार ने रोका नहर का बहाव, मोहल्ला बना टापू
जलकुंभी व खरपतवार ने रोका नहर का बहाव, मोहल्ला बना टापू

संवाद सहयोगी बबेरू : बारिश के पहले नहरों की साफ-सफाई कर किस तरह बंदरबांट का खेल किया गया, इसका दंश अब कस्बे में गायत्री मंदिर के पीछे बनी नेता नगर बस्ती के लोग झेल रहे हैं। साफ-सफाई नहीं होने से नहर में जलकुंभी और खरपतवार ने पानी का बहाव रोक दिया है। नहर पटरी टूटी होने से पानी आगे नहीं बढ़ पा रहा है। लगातार हो रही बारिश से उफनाई नहर का पानी अब मोहल्ले को ही टापू बना बना रहा है। लोगों के घरों में पानी भरने लगा है। लोग रातभर जगकर घरों में पानी न घुसने देने का इंतजाम कर रहे हैं। प्रशासनिक उपाय नाकाफी नजर आए। आरोप है कि सफाई के नाम पर किए गए खेल का खामियाजा आमजन भुगत रहे हैं।

लगातार हो रही बारिश के चलते कस्बे के बांदा रोड स्थित गायत्री मंदिर के बगल से निकली नहर का पानी नेता नगर के लोगों के घरों में घुस रहा है। स्थानीय लोगों का कहना है कि नहर की साफ-सफाई कई वर्षों से नहीं हुई। जिससे नहर में करीब दस किमी. तक केवल जलकुंभी और खरपतवार ही नजर आ रही है। इससे पानी आगे की ओर नहीं जा रहा है। इससे नहर का पानी पटरी के ऊपर से बह रहा है। कई स्थानों पर नहर पटरी भी टूटी है जिससे पानी तेजी से मकानों को घेर रहा है। कई जगह टापू जैसे हालात हैं। बाशिदों के घरों में पानी घुसने से महिलाएं व बच्चे दिनभर पानी निकालते हैं। फिर चारपाई व छत में बैठ कर रात गुजार रहे हैं। आरोप है कि कई बार केन नहर प्रखंड के उच्चाधिकारियों से मिलकर साफ-सफाई की बात की। लेकिन किसी ने नहीं सुनी। केन प्रखंड के अवर अभियंता चंद्रप्रकाश सिंह का कहना है कि पानी आने के बाद ही नहर की सफाई की जाती है। वह कराई जा रही है।

------------- प्रतिक्रिया

-रोहित का कहना है कि यदि प्रशासन पहले से जागरूक होता तो नहर में जलकुंभी इतनी नहीं होती। समय से साफ-सफाई करा ली जाती तो यह दिन देखने को हम लोगों को नहीं मिलता।

-अर्चना देवी कहती हैं कि यदि कोई घर में बीमार हो जाता है और खाने-पीने की सामग्री लेने बाजार जाना पडे़ तो पानी में घुटनों तक पारकर निकलना पड़ रहा है। असुरक्षा घर व बाहर दोनों जगह है।

- ललित प्रजापति कहते हैं कि कई बार उच्चाधिकारियों से शिकायत की। लेकिन कोई नहीं सुन रहा है। अब नहर का पानी घरों में घुस गया है। जहरीले कीड़े मकोड़ों के डर से सुरक्षा पर भी खतरा है।

-फूला देवी कहती है कि दस वर्षों से इस नहर की सफाई नहीं हुई है। कागजों पर खानापूर्ति हो रही है। बच्चों के साथ जान माल की रक्षा कर रही हैं। हर समय अनहोनी का डर सताता रहता है।

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