छत से टपकता पानी, खतरे में माल की हिफाजत

फोटो- मालखाने में टपकता पानी माल के हिफाजत में खतरा फोटो संख्या - - ब्रिटिश शासन काल में निर्मित हुआ था भवन क्षमता पूरी - 19

By JagranEdited By: Publish:Sat, 18 Jan 2020 10:31 PM (IST) Updated:Sun, 19 Jan 2020 06:02 AM (IST)
छत से टपकता पानी, खतरे में माल की हिफाजत
छत से टपकता पानी, खतरे में माल की हिफाजत

जागरण संवाददाता, बांदा : ई-मालखानों के दौर में जीआरपी थाना अभी काफी पिछड़ा है। थाने का मालखाना आज भी ब्रिटिश शासन काल के बने भवन में चल रहा है। वर्षों पुराने भवन के छत की चादर पूरी तरह जर्जर हो चुकी है। बारिश का पानी टपकने से वहां रखे मुकदमों का माल कब खराब हो जाए कोई भरोसा नहीं है। माल के हिफाजत के लिए पन्नी का सहारा लेना पड़ता है।

रेलवे स्टेशन में जीआरपी थाना आजादी के पहले से संचालित हो रहा है। थाने का मालखान भी अपनी 100 वर्ष से ज्यादा की आयु पूरी कर चुका है। अंग्रेजों के समय में निर्मित थाने के मालखाने की पुरानी दीवारें देखने में भारी-भरकम लगती हैं। लेकिन लंबा समय अंतराल बीतने से मालखाना अब जर्जर हो गया है। छत की मोटी सीमेंट की चादर में जगह-जगह सुराख नजर आते हैं। जिससे बारिश का पानी मालखाने में भरता है। वर्तमान समय में मालखाने के अंदर वर्ष 1982 से लेकर अब तक के 519 मुकदमों का माल जमा है। जिसमें तमंचे, कारतूस, चाकू, छूरी आदि के साथ चोरी से संबंधित बरामद रुपये व जेवर आदि भी शामिल हैं। एनडीपीएस एक्ट में पकड़ा गया नशीला पदार्थ भी साक्ष्य के रूप में एकत्र है। लेकिन जर्जर स्थिति में पहुंच चुके मालखाने के भवन में यह माल कितने सुरक्षित रहेगा अपने आप में चिता का विषय बना है। पानी व धूल के अंदर पहुंचने से अलग-अलग मुकदमों के माल के सड़कर खराब होने का खतरा मंडरा रहा है। विभाग को माल के नष्ट होने की फिक्र नहीं है। जिसके चलते न तो भवन का पुर्ननिर्माण कराया गया और न ही अभी तक किसी नए भवन को तैयार करने संबंधी कोई योजना बनाई गई है। यात्रियों की सुरक्षा के दारोमोदार की पूरी जिम्मेदारी निभाने वाली जीआरपी की इस दयनीय स्थिति को सुधारने के लिए रेलवे कब प्रभावी कदम उठाएगा यह यश प्रश्न बना है।

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- मालखाने के माल को किसी तरह पन्नी लगाकर सुरक्षित किया जाता है। जिससे पानी व धूल आदि का प्रभाव न पड़े। भवन की जर्जर स्थिति के बारे में कई बार लिखित जानकारी झांसी के अधिकारियों को दी गई है। स्वीकृति मिलते ही नया निर्माण कार्य कराया जाएगा।

रामबरन सिंह जीआरपी थाना प्रभारी

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- कोई भी नए भवन का निर्माण कराने के बाद उसकी उम्र करीब 50 वर्ष आंकी जाती है। इसके बाद भवन को सरकारी तौर पर कंडम मान लिया जाता है।

- टीपी त्रिपाठी जेई

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मालखाने की यह है स्थिति

भवन निर्माण - वर्ष 1817 के करीब

माल मुकदमाती - 519

सबसे पुराना माल - वर्ष 1982 (चोरी का बक्शा)

भवन संचालन की आयु - 50 वर्ष

मालखाने में कक्ष - एक हाल

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