स्वयं सेवी संस्थाएं करेंगी पशु वन्य विहार का संचालन

जागरण संवाददाता बांदा जिले में अन्ना प्रथा से निपटने के लिए शासन ने दो वर्ष पूर्व दो पशु वन्य ि

By JagranEdited By: Publish:Wed, 28 Oct 2020 08:35 PM (IST) Updated:Wed, 28 Oct 2020 08:35 PM (IST)
स्वयं सेवी संस्थाएं करेंगी पशु वन्य विहार का संचालन
स्वयं सेवी संस्थाएं करेंगी पशु वन्य विहार का संचालन

जागरण संवाददाता, बांदा : जिले में अन्ना प्रथा से निपटने के लिए शासन ने दो वर्ष पूर्व दो पशु वन्य विहार के लिए बजट जारी किया था। जिले में नरैनी दो गोवंश वन्य विहार बनकर तैयार हो गए हैं। इन वृहद गोशालाओं का संचालन अब स्वयं सेवी संस्थाएं करेंगी। पशुपालन विभाग उन्हें हर माह प्रति पशु 30 रुपये पालन-पोषण का खर्च देगा। करीब दो हजार गोवंशों का संरक्षण होगा।

जनपद में करीब दो लाख गोवंशों में 85 हजार गोवंश अन्ना है। पशुपालन विभाग के मुताबिक पिछले वर्ष सर्वे में प्रति ग्राम पंचायत लगभग ढाई सौ पशुओं के अन्ना होने की रिपोर्ट आई थी। इन अन्ना पशुओं को संरक्षित करने के लिए सरकार पशु वन्य विहार, कान्हा पशु आश्रय स्थल, अस्थाई गोशाला आदि बनवा रही है। वर्ष 2018 में गोवंशों के बड़े पैमाने पर संरक्षण और गोबर तथा गोमूत्र से विभिन्न उत्पाद तैयार कर गोशालाओं को समृद्ध बनाने की मंशा से शासन ने पशु वन्य विहार की स्वीकृति दी। पशुपालन विभाग ने सीएंड डीएस संस्था के माध्यम से 1.20-1.20 करोड़ रुपये की लागत से बबेरू तहसील के बड़ागांव और नरैनी के रगौली भटपुरा में पशु वन्य विहार तैयार किया है। इनमें एक-एक हजार गोवंशों का संरक्षण किया जाना है। ये गोशालाएं बनकर तैयार हैं। संस्था ने पशुपालन विभाग को इन भवनों को हैंडओवर कर दिया है। संचालन के लिए पशुपालन विभाग ने विभिन्न स्वयं सेवी संस्थाओं से आवेदन मांगे थे। इनमें से कई आवेदन आए हैं। सत्यापन आदि किया जा रहा है। नवंबर माह से गोशाल शुरू हो जाएंगी। बबेरू और करतल में अन्ना गोवंशों पर काफी हद तक अंकुश लगेगा। गोशाला संचालन के लिए पशुपालन विभाग संचालक को प्रति गोवंश 30 रुपये की दर से हर माह खर्च देगा। साथ ही संचालकों को पलने वाले गोवंशों का रजिस्टर में पूरा रिकार्ड रखना होगा।

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बड़ागांव में रास्ते की दरकार

बड़ागांव (बबेरू) में गोशाला तक पहुंचने के लिए मार्ग की दरकार है। इसमें करीब डेढ़ किलोमीटर तक कच्चा रास्ता है। जरा सी बारिश होने पर यह मार्ग कीचड़ से सराबोर हो जाता है।

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-पशु वन्य विहार बनकर तैयार हैं। इनका संचालन संस्थाएं करेंगी। नवंबर माह से लगभग से शुरू हो जाएंगी। इससे अन्ना कुप्रथा पर काफी हद तक अंकुश लगेगा।

-डॉ.राजीव कुमार धीर, मुख्य पशु चिकित्साधिकारी, बांदा

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