समूह की तीन सैकड़ा महिलाएं बनीं मनरेगा मेठ

जागरण संवाददाता बांदा राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (एनआरएलएम) की महिलाओं को रोजगार

By JagranEdited By: Publish:Thu, 24 Jun 2021 05:15 PM (IST) Updated:Thu, 24 Jun 2021 05:15 PM (IST)
समूह की तीन सैकड़ा महिलाएं बनीं मनरेगा मेठ
समूह की तीन सैकड़ा महिलाएं बनीं मनरेगा मेठ

जागरण संवाददाता, बांदा : राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (एनआरएलएम) की महिलाओं को रोजगार का एक और जरिया मिल गया है। अब मनरेगा के कामों में मेठ की भूमिका निभाएंगी। एनआरएलएम ने शुरुआती चरण में करीब तीन सैकड़ा महिलाओं का चयन कर सूची मनरेगा अधिकारियों को सौंप दी गई है।

एनआरएलएम के करीब छह हजार समूह जिले में काम कर रहें हैं। समूह की महिलाएं विभिन्न प्रकार के रोजगार से जुड़ीं हैं। साथ ही कई सरकारी सेवाओं में इनकी भागीदारी है। शासन ने अब इन्हें मनरेगा मेठ बनाएं जाने के निर्देश दिए हैं। जिले में पहले चरण में तीन सैकड़ा महिलाओं को मेठ के लिए चयनित किया गया है। बताते हैं कि गांवो में महिला मेठ की देखरेख में मनरेगा के काम होगें। मेठ के लिए के चयनित हुई महिलाओं की सूची मनरेगा अधिकारियों को भेज दी गई है। कई गांवो में काम करना भी शुरू कर दिया है।

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- मनरेगा में एनआरएलएम की महिलाओं को मेठ बनाया गया है, जो कार्यो की देखरेख करेंगी। -राघवेन्द्र तिवारी, उपायुक्त मनरेगा

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हर ग्राम पंचायत के लिए होगा चयन

बांदा : जिले की सभी ग्राम पंचायतों में मनरेगा के लिए मेठ चयनित होगीं। एनआरएलएम के मुताबिक जिले में अभी 303 समूह की महिला सदस्यों को मेठ चयनित किया गया है। ग्राम पंचायत वार कम से कम एक मेठ चयनित होगी। जिले में कुल 469 ग्राम पंचायतें हैं। इन सभी में मेठ नियुक्त होगीं। शेष ग्राम पंचायतों में भी जल्द चयन होगा।

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जिले में गठित हैं 66 सौ से अधिक समूह

बांदा : राष्टीय ग्रामीण आजिविका मिशन में महिला समूहों की संख्या 66 सौ से अधिक हो गयी है। विभागीय जानकारी के मुताबिक 461 महिलाएं बेंक सखी हैं। 22 समूह कोटे की दुकान संचालित कर रहीं हैं।करीब 300 महिलाएं पुष्टाहार वितरण के काम में लगी हैं। 15 से 20 समूह दाल व साबुन उत्पादन एवं करीब एक सैकड़ा महिलाएं डेयरी के काम लगी है।

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इन कामों में दे रही सेवाएं

बैंकों में बीसी सखी के रूप में लेन-देन करना।

- सरकारी राशन की दुकानों का संचालन।

- आंगनबाड़ी केंद्रो में पुष्टाहार का वितरण।

- दाल व साबुन के उत्पादन से रोजगार।

- ड़ेयरी से जुड़कर दुग्ध उत्पादन से रोजगार।

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