मुर्गी पालन से निकलेगी बुंदेलखंड में समृद्धि की राह
जागरण संवाददाता, बांदा: आर्थिक रूप से पिछड़े बुंदेलखंड में मुर्गी पालन से संपन्नता की तस्वीर बनाई
जागरण संवाददाता, बांदा: आर्थिक रूप से पिछड़े बुंदेलखंड में मुर्गी पालन से संपन्नता की तस्वीर बनाई जाएगी। इसको दम देंगे बेहतरीन माने जाने वाले हैदराबादी चूजे। यहां के पांच जिलों में रूरल बैकयार्ड डेवलपमेंट प्रोग्राम के तहत चलाई जा रही महिला समृद्धीकरण ब्रायलर पालन योजना के लिए चयन और चूजे उपलब्ध कराने की प्रक्रिया पूरी हो गई है। विभाग द्वारा जहां चयनित महिलाओं को चूजे दिये जाएंगे वहीं उनको वर्तन व दाना आदि के लिए अर्थिक मदद भी दी जी रही है।
योजना में राष्ट्रीय अजीविका मिशन के तहत गठित स्वयं सहायता समूह की महिलाओं को जोड़ा गया है। पहले चरण में चयनित 7310 महिलाओं चयन किया गया है। अधिकारियों का कहना है कि चूजों की आपूर्ति की जिम्मेदारी हैदराबाद की मेसर्स इंडब्रो रिसर्च एंड ब्री¨डग फार्म्स प्राइवेट लिमिटेड इसकी जिम्मेदारी दी गई। बांदा, हमीरपुर, चित्रकूट, महोबा और जालौन जिलों के लिए 58560 चूजे दिये जाएंगे। इसमें पहली खेप में 48960 चूजे आएंगे। बांदा व चित्रकूट के लिए जिले में दूसरी खेप में भी 4800-4800 चूजे आएंगे। इन चूजों को एनआरएलम विभाग 15 से 20 मदर यूनिटों में रखेंगे। तैयार हो जाने की स्थिति में इन्हें समूह से जुड़ी महिलाओं को दिए जाएंगे।
कम समय में होंगे तैयार
इन चूजों की खासियत यह है कि ये कम समय में तैयार हो जाएंगे और इनके सुरक्षा को लेकर भी ज्यादा परेशान होने की जरूरत नहीं पड़ेगी।
इतने चूजे आयेंगे
पहली खेप: हमीरपुर, जालौन, बांदा, चित्रकूट, महोबा में प्रत्येक के लिए 9792 दूसरी खेप: बांदा, चित्रकूट प्रत्येक के लिए 4800
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हैदारबादी चूजे यहां के मौसम के अनुकूल हैं। इससे उनके लिए बीमारी व अन्य खतरा नहीं रहेगा। 25 फरवरी से खेप आनी शुरू हो जाएगी। इन्हें मदर डेयरी से समूहों तक सुरक्षित पहुंचाया जाएगा। क्षति की स्थिति में दो से तीन फीसद चूजे अतिरिक्त भेजे जाएंगे।
-करुणाकर पांडेय, उपायुक्त, एनआरएलएम