सच्चे त्याग से ही निर्मल व पवित्र होती है आत्मा

जागरण संवाददाता बांदा व्यक्ति धन के दान को त्याग समझ लेता है। जबकि दान और त्याग में बहुत ब

By JagranEdited By: Publish:Fri, 17 Sep 2021 06:54 PM (IST) Updated:Fri, 17 Sep 2021 06:54 PM (IST)
सच्चे त्याग से ही निर्मल व पवित्र होती है आत्मा
सच्चे त्याग से ही निर्मल व पवित्र होती है आत्मा

जागरण संवाददाता, बांदा : व्यक्ति धन के दान को त्याग समझ लेता है। जबकि दान और त्याग में बहुत बड़ा अंतर है। दान करने से सिर्फ पुण्य मिलता है। यह बाहरी त्याग की श्रेणी में आता है। जबकि आंतरिक त्याग वह होता है जब अपनी आत्मा से राग, द्वेष,कषाय, अहंकार ,लोभ,लालच आदि विकार भाव छूट जाएं। इस त्याग से ही आत्मा निर्मल,पवित्र होती है। यहीं सच्चा उत्तम त्याग है।

छोटी बाजार स्थित जैन मंदिर में पर्यूषण पर्व के आठवें दिन शुक्रवार जैन मुनि ने अपने प्रवचन के दौरान यह बातें कहीं। अनुयायियों ने आठवें दिन उत्तम धर्म का पालन किया। जिनालयों में श्रावक-श्राविकाओं ने भगवान मुनि सुब्रत नाथ की धांति धारा, अभिषेक कर जैन शास्त्रों का पाठ किया। जैन मुनि ने त्याग धर्म का अनुसरण करने के बारे में प्रवचन दिए। कहा कि त्याग धर्म हैं और दान पुण्य। जो जीव संपूर्ण परद्रव्यों से मोह छोड़ कर संसार, देह और भोगों से उदासीनतारूप परिणाम रखता है, उसके त्याग धर्म होता है। इससे ही आत्मा का कल्याण होगा और मोक्ष का मार्ग प्रशस्त होगा। तारण तरण दिगंबर चैत्यालय जी में भी कार्यक्रम हुए। गुरु तारण स्वामी पर कई प्रतियोगिताएं हुईं। पुराने चैत्यालय जी में विधि विधान से पूजा व मंत्रो के साथ धर्म ध्वजा फहराई गई। महिलाओं ने ढोलक व मजीरे के साथ भजन गाए और मां जिनवाणी के सामने नृत्य के द्वारा चंवर आरती की। श्रावकों ने मंडलाचार्य महाराज तारण स्वामी के लिखे चौदह ग्रंथो का पाठ किया। तारण वाणी को पढ़कर सुनाया ताकि लोग अनुशरण कर अपना आत्मोत्थान कर सकें। इस अवसर पर मुकेश जैन,जवाहर जैन,सुरेश जैन,दर्शित शास्त्री,राकेश जैन, अमन जैन,संदीप जैन,प्रदीप जैन,दिनेश मोइया,मिश्रीलाल जैन,अशोक जैन,बिल्लू जैन,कल्लू जैन,आशीष जैन,सनत जैन सौरभ जैन,संजू जैन,विपिन जैन,रितेश जैन,टिकल जैन,राहुल जैन,जितेंद जैन,नरेंद्र जैन, मनोज जैन,प्रमोद जैन, सरोज जैन, गोल्डी , शैली, किरण,नीलम,मिटी,दिव्या ,सीमा,रश्मि,मीनू,कु .प्रिया जैन आदि मौजूद रहीं।

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