बांदा के किसान बोले, आंदोलन में भाग ल्यान तो बाल बच्चन का कैसे जियावन
संवाद सहयोगी पैलानी (बांदा) जिले के किसान खेतों में पलेवा (सिचाई) करने के साथ-साथ रबी की
संवाद सहयोगी, पैलानी (बांदा) : जिले के किसान खेतों में पलेवा (सिचाई) करने के साथ-साथ रबी की बोआई में तल्लीन हैं। किसान आंदोलन से दूर-दूर तक वास्ता नहीं है। पैलानी के श्यामाचरण मिश्रा हों या किसान दादू, बोले, 'आंदोलन के चक्कर मा पड़िबै तो पैदावार कैसे होई। वैसे भी सरकार किसान बिल से हालत सुधारैं मां लगी है। प्रधानमंत्री आय बढ़ावैं के जतन करि रहे हैं।' दोनों कहते हैं, हमारे पास बेवजह बातों का समय ही नहीं है। अभी पहले बोई गेहूं की फसल में पानी मिलना आवश्यक है।
किसान आंदोलन की चर्चा छेड़ते किसान रामनारायण सोनकर कहते हैं, 'खेतों में रखवाली करन कि किसान आंदोलन में भाग ल्यान।' सवाल दागते हैं, बाल बच्चन का कैसे जियावन, आंदोलन वाले हमार बाल बच्चन का थोड़ा खवा दैहैं। मोदीजी ने यह कानून अगर किसान हित का बनाओ है तो जरूर हमें आगे लाभ हुई।' उनका कहना है कि हमें मोदी पर ही भरोसा है। प्रदेश में योगी जी मुख्यमंत्री हैं। किसान के लिए छह हजार रुपये खाते में भेज रहे हैं। अब आप बताओ कि हम किस हक से आंदोलन करें। रामनारायण बोले, 'योगी बाबा (मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ) बुंदेलखंड का भरपूर बिजली भी दे रहे हैं। बिजली य समय आवत है, 25 नवंबर के पहले जो ख्यात के बुवाई हुई गए उन खयातन मा पहल पानी हम न लगइबे तो बाल बच्चन का कैसे जिया पाऊंब।'
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पानी लगाने से फुर्सत नहीं, कौन करे आंदोलन
किसान रामदास द्विवेदी कहते हैं, 'हमें खेत में पानी लगाने से फुर्सत नहीं है, कौन आंदोलन करे। आंदोलन के चक्कर में हमार खया तन का फसल भी उजड़ जाई तव क्या आंदोलनकारी हमार ख्यात बचा लैंहैं।' परसौड़ा गांव के किसान श्यामाचरण मिश्रा का कहना है कि अगर हम आंदोलन के चक्कर में पड़ गए तो जरूर हमारे खेतों की हालत खराब हो जाएगी। फसल ज्यादा पैदा न हुई तो जो रकम खेत में लगाई है, वह क्या आंदोलन से निकल आएगी।
किसान कुबेर सिंह व दादू भी पलट कर सवाल करते हैं, 'बताओ कि आंदोलनकारी का हमार ख्यातन में यूरिया छिड़कै आ जाइहैं अगर हम ख्यातन मा समय से यूरिया का छिड़काव न करें तो हमार जो पूंजी घर का लाग ही है व कसत निकरी।'