गल्ला मंडी में प्रवेश पर रोक, अस्थायी में हो रही वसूली

संवाद सहयोगी बबेरू अधिकारियों की नासमझी से कोविड गाइड लाइन की धज्जियां उड़ रही हैं। क

By JagranEdited By: Publish:Sat, 08 May 2021 04:32 PM (IST) Updated:Sat, 08 May 2021 05:01 PM (IST)
गल्ला मंडी में प्रवेश पर रोक, अस्थायी में हो रही वसूली
गल्ला मंडी में प्रवेश पर रोक, अस्थायी में हो रही वसूली

संवाद सहयोगी बबेरू : अधिकारियों की नासमझी से कोविड गाइड लाइन की धज्जियां उड़ रही हैं। कस्बे के तिदवारी रोड स्थित गल्ला मंडी में कोरोना नियमों का हवाला देकर सब्जी विक्रेताओं व किसानों को दुकानें नहीं लगाने दी जा रहीं। मजबूरन किसान और सब्जी विक्रेता सड़क किनारे मंडी के पास पड़ी खाली जमीन पर दुकानें लगा रहे हैं। इससे वहां जमकर भीड़ लग रही है।

गल्ला मंडी की खाली जमीन में लग रही सब्जी मंडी को पुन: कस्बे के अंदर एक जगह पर लगने से लोगों का जमावड़ा लग रहा है। इससे संक्रमण से बचाव के नियम तार-तार हो रहे हैं। इसमें छोटे व्यापारी वसूली का आरोप लगा रहे हैं। उनका कहना है कि तत्कालीन मंडी सचिव रामकुमार अग्रहरि ने मशक्कत व पुलिस बल के प्रयोग से गल्ला मंडी में सब्जी मंडी को लगवाना शुरू किया था। इससे जहां एक ओर सरकार की आया बढ़ी थी तो वहीं सब्जी विक्रेताओं को भी राहत मिली थी। लेकिन पिछले वर्ष कोरोना महामारी के चलते सब्जी विक्रेताओं को कस्बे में कहीं भी दुकानें लगाने की छूट दी गई। किसानों, व्यापारियों ने अधिकारियों की बात मानकर सड़क के किनारे फुटपाथ पर सब्जी लगाकर परिवार का भरण-पोषण शुरू कर दिया। किसानों का आरोप है कि अधिकारियों ने मोटी के कमाई के चक्कर में मंडी के स्थान पर उन्हें पशु मंडी के स्थान पर भेज दिया। जिससे यहां लोगों का भारी जमावड़ा लगता है। किसानों से सब्जी बेचने के एवज में भारी रकम भी वसूली जा रही है। विरोध करने पर कोरोना का हवाला देकर जेल भेजने की धमकी दी जाती है। किसानों व सब्जी विक्रेताओं का कहना है कि गल्ला मंडी में 30 बीघा से अधिक की जमीन खाली पड़ी है। यदि यहां पर किसानों एवं व्यापारियों की सब्जी मंडी लगवा दी जाए तो सरकार को राजस्व की प्राप्ति होगी। अवैध वसूली भी रुकेगी।

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- गल्ला मंडी में सब्जी की दुकाने नहीं लगाई जाएंगी। वर्तमान में जहां लग रही है वहीं लगेंगी। संक्रमण का कोई खतरा नहीं है। -महेंद्र प्रताप सिंह, उप जिलाधिकारी एवं मंडी अध्यक्ष, बबेरू - मैं कोविड संक्रमित हूं कुछ व्यापारियों ने उत्पीड़न की जानकारी दी है। ठीक होने के बाद मैं उच्चाधिकारियों6 सहित मुख्यमंत्री से बात करूंगा। जिम्मेदार आरोपितों के खिलाफ शासन की छवि धूमिल कराने पर कार्रवाई की मांग की जाएगी। -चंद्रपाल कुशवाहा, क्षेत्रीय विधायक

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प्रतिक्रिया

फोटो संख्या-

- पालक, मूली, चुकंदर का उत्पादन करते हैं। जब सुबह लेकर बेचने के लिए आते हैं तो सड़कों के किनारे प्रशासन लगाने नहीं देता, कहते हैं लल्लन रस्तोगी की सब्जी मंडी में जाओ जहां माल के आधार पर 20 से 50 रुपये कुछ घंटे के लिए देना पड़ता है। -मुलायम, टोलाकला

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- पांच से दस किलो भांटा, भिडी व पालक लेकर आते हैं। उसमें भी कभी 30 तो कभी 40 रुपये देना पड़ता है। तभी दुकान सब्जी मंडी में लग पाती है। इतना ही नहीं सब्जी बच भी जाती है। इससे घाटा होता है। यहां कोई सुनने वाला नहीं है। -मनोज, सिमौनी

- वाह रे कोरोना, यमुना किनारे रात भर रतजगा कर रेरुवा, करैला तैयार करते हैं। सुबह उसे जब बेंचने आते हैं तो प्रशासन फुटपाथ पर बैठने नहीं देता गल्ला मंडी बंद किए हैं। अस्थाई सब्जी मंडी में आमदनी से अधिक वसूली हो रही है। इससे लागत भी नहीं निकल पा रही है। -शत्रोहन, औगासी - कोरोना का खौफ दिखाकर प्रशासन की शह पर हम जैसे छोटे किसानों के साथ बदसलूकी कर वसूली करवायी जा रही है। सब्जी मंडी में जाते है तो माल व सामान के आधार पर टैक्स लिया जाता है। कुछ घंटे खड़े रहने के सौ रुपये तक देना पड़ता है। इसकी कोई रसीद नहीं दी जाती है।

-अजय, औगासी

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