बांदा में पीसीयू में फंसा चने का भुगतान, अन्नदाता परेशान

संवाद सहयोगी नरैनी क्षेत्र के तीन सैकड़ा से अधिक किसानों ने छह माह पहले यूपीपीसीयू खरीद

By JagranEdited By: Publish:Tue, 01 Dec 2020 10:46 PM (IST) Updated:Tue, 01 Dec 2020 10:46 PM (IST)
बांदा में पीसीयू में फंसा चने का भुगतान, अन्नदाता परेशान
बांदा में पीसीयू में फंसा चने का भुगतान, अन्नदाता परेशान

संवाद सहयोगी नरैनी : क्षेत्र के तीन सैकड़ा से अधिक किसानों ने छह माह पहले यूपीपीसीयू खरीद केंद्र में चना बेचा था। भुगतान के तौर पर उन्हें आज तक एक पाई भी नहीं मिली। किसान खरीद केंद्र प्रभारी से लेकर प्रशासनिक अफसर तक चक्कर लगा रहे हैं। लेकिन सात माह बीतने के बाद भी किसानों के जख्म पर मरहम लगाने वाला कोई नहीं।

अप्रैल-मई में कस्बा के कालिजर मार्ग पर यूपी पीसीयू के खुले खरीद केंद्र में क्षेत्र के लगभग 300 किसानों ने चना का वाजिब मूल्य पाने के लिए बेचा था। कई बार लिखित शिकायत करने के बाद आज तक भुगतान नहीं हुआ। इस समय क्षेत्र का किसान अपनी पारिवारिक समस्या शादी-विवाह, बीमारी, बुआई, कर्ज को लेकर हलाकान है। नौबत यहां तक है कि किसान अपने खेत व महिलाओं के जेवर, गिरवी रखकर अपनी जरूरतें पूरी कर रहे हैं। इन किसानों ने तहसील दिवस में कई बार शिकायती पत्र दिया। सात माह बीत जाने के बाद भी किसानों के जख्मों पर मरहम लगाने वाला न जनप्रतिनिधि काम आ रहे न ही अधिकारी। किसानों का कहना है कि 1076 मुख्यमंत्री हेल्पलाइन में कई बार शिकायत दर्ज कराई। आज तक कुछ नहीं हुआ। इस संबंध में एसडीएम से बात करने का प्रयास किया गया लेकिन उनका फोन कवरेज क्षेत्र से बाहर बताता रहा।

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बोले परेशान किसान:

- चना का अच्छा मूल्य पाने की लालसा में यूपीपीसीयू खरीद केंद्र पर बेच दिया। अब तक भुगतान नहीं हुआ। आर्थिक व्यवस्था चरमरा गई है। खरीद केंद्र के प्रभारियों का कोई अता-पता नहीं है। एसडीएम से लेकर डीएम तक कई पत्र दे चुके है। जनसुनवाई पोर्टल में लिखा लेकिन आज तक कुछ नहीं हुआ।

-किसान नत्थू शिवहरे,नौगवां

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- प्रशासन का केंद्र में कोई हस्ताक्षेप नहीं है। क्षेत्र में ऐसे केंद्र न खुलें, इसका ध्यान रखना प्रशासनिक अधिकारियों का काम है। भुगतान न होने से घर के बीमार सदस्यों का इलाज नहीं करा पा रहे। पैसों का अभाव है। खेती में बुवाई कार्य शुरू है।

-किसान सीताराम पटेल, मुकेरा

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-चना बेच का करीब एक लाख रुपये का भुगतान न होने से आर्थिक तंगी से गुजर रहे हैं। जनप्रतिनिधि व अधिकारी तक बेपरवाह बने है। कोई सुनने वाला नहीं है चचेरी बहन की शादी है।

-किसान उमेस, बसराही

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