संक्रमितों के देखभाल में नर्स सावित्री का झलकता है स्नेह

जागरण संवाददाता बांदा आमतौर पर मरीजों के उपचार में नर्सों की भूमिका तो महत्वप‌रू्ण रह

By JagranEdited By: Publish:Tue, 11 May 2021 04:48 PM (IST) Updated:Tue, 11 May 2021 07:08 PM (IST)
संक्रमितों के देखभाल में नर्स सावित्री का झलकता है स्नेह
संक्रमितों के देखभाल में नर्स सावित्री का झलकता है स्नेह

जागरण संवाददाता, बांदा : आमतौर पर मरीजों के उपचार में नर्सों की भूमिका तो महत्वप‌रू्ण रहती ही है। लेकिन कोरोना महामारी के दौर में जिन्होंने अपने दायित्वों का निर्वहन बखूबी किया है। उनको हर किसी को सलाम करना चाहिए। स्टाफ नर्स सावित्री का मरीजों की देखभाल व उपचार के साथ स्नेह झलकता है। उनके अच्छी तरह बात करने से मरीज हौंसले से मजबूत होकर जल्दी स्वस्थ हो रहे हैं।

कोविड -19 एल थ्री राजकीय मेडिकल कॉलेज की 42 वर्षीय स्टाफ नर्स मैटरेन सावित्री की वर्ष 2009 बैच की तैनाती है। उन्होंने पूर्व में आजमगढ़ व लखनऊ मेडिकल कॉलेजों में काम किया है। वर्ष 2015 में बांदा राजकीय मेडिकल कॉलेज बांदा में उनका स्थानांतरण हुआ था। तभी से वह बराबर अपनी यहां सेवाएं दे रही हैं। कोरोना काल में उन्होंने ड्यूटी के अनुभव को साझा करते हुए बताया कि 12 वर्ष की नौकरी में उन्होंने पहली बार ऐसी महामारी देखी है। शुरू में तो खुद के संक्रमित होने का भी डर रहता था लेकिन मरीजों की हालत देखकर उन्होंने अपनी चिता कभी नहीं की। सुरक्षा के उपकरणों से लैस होकर अपने ड्यूटी के कर्तव्य में डटी रहीं। दवा के साथ मरीजों के साथ स्नेह से बात किया। जिसका असर मरीजों पर ज्यादा दिखाई पड़ा । उन्होंने बताया कि संक्रमित मरीज काफी डरे हुए होते हैं। ऐसे में उन्हें दिलासा देकर हौसला बढ़ाती हैं। उनके मार्ग दर्शन में स्टाफ नर्सों की टीम भी जी जान से मरीजों के उपचार व देखभाल में दिन रात एक कर रही हैं। मरीजों के स्वस्थ होकर घर जाने में खुद को बड़ा सुकून मिलता है। अब संक्रमितों का उपचार व देखभाल करने की आदत बन गई है। वह भी उन्हें अन्य बीमारियों के मरीज जैसे लगते हैं। संक्रमण से बचाव का ख्याल रखते हुए वह मरीजों के उपचार में मदद करती हैं।

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- मासूम बेटी से बनाएं हैं दूरी, फोन से करतीं दुलार

- मैटरेन सावित्री की ससुराल जहां शहर के मोहल्ला कालूकुआं में है। वहीं उनके पति का देहांत हो चुका है। 10 वर्षीय बेटी सौम्या को उन्होंने नानी शांति यादव के पास मायके छतरपुर में देखभाल के लिए छोड़ा है। कई बार बेटी फोन में बात करने पर घर आने की जिद करती है। लेकिन वह उसे फोन में ही दुलार कर जल्दी घर आने को कहकर चुप करा देती हैं। मरीजों की देखभाल व अपने फर्ज को लेकर वह अपनी मासूम बेटी से दूरी बनाएं हैं।

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