अब मरीजों को नहीं खलेगी खून की कमी, समय रहते मिलेगी मदद
जागरण संवाददाता बांदा सरकारी अस्पतालों में अभी तक ज्यादातर मरीज डोनर न होने से खून के ि
जागरण संवाददाता, बांदा : सरकारी अस्पतालों में अभी तक ज्यादातर मरीज डोनर न होने से खून के लिए परेशान होते रहे हैं। लेकिन मेडिकल कालेज प्रशासन ने अब नई पहल की है। कालेज के साढ़े आठ सौ चिकित्सकों व कर्मियों ने मरीजों की मदद के लिए अपना ग्रुप तैयार किया है। सभी ने ब्लड देने के लिए अपना-अपना पंजीयन भी बैंक में कराया है। जिससे मरीजों को समय रहते खून उपलब्ध कराया जा सके।
मेडिकल कालेज में वैसे तो ब्लड बैंक संचालित हो रहा है। जिसमें करीब 400 यूनिट ब्लड रखने की क्षमता है। प्रतिमाह मेडिकल कालेज में करीब 60 यूनिट ब्लड की खपत रहती है। पुराना ब्लड खराब होने से बैंक में खून की उपलब्धता 16 से 20 यूनिट तक ही रह पाती है। जिससे कई बार मरीजों के पास डोनर न होने से खून मिलने की दिक्कत होती थी। मेडिकल कालेज प्रशासन ने मरीजों को हर समय खून उपलब्ध कराने के लिए अपने पूरे साढ़े आठ सौ स्टाफ का रक्तदाता के रूप में (वालेटियर) पंजीयन कराया है। जिसमें सीनियर रेजीडेंट व जूनियर रेजिडेंट चिकित्सक तो शामिल हैं ही। एमबीबीएस प्रशिक्षु चिकित्सक व वार्ड ब्वाय, लिपिक वर्ग, स्टाफ नर्स सभी जुड़े हैं। सभी को एक ग्रुप बनाकर जोड़ा गया है। जिससे जब भी मरीजों को खून की आवश्यकता होगी तो उन्हें भटकना नहीं पड़ेगा। ग्रुप में मैसेज जारी करते ही संबंधित ब्लड को देने वाले कर्मी मदद को आगे आएंगे। मरीजों को समय पर खून देकर उनकी जान बचाई जाएगी। इसी सितंबर माह में शुरू हुई प्रक्रिया में अब तक सात मरीजों की मेडिकल स्टाफ ने मदद भी की है। जिसमें ओ व बी ग्रुप की डिमांड ज्यादा रही है। एक साथ आठ सौ से ज्यादा मेडिकल वालेंटियर जुड़ने से अलग-अलग ग्रुप का ब्लड मिलने में भी कोई दिक्कत नहीं है।
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- मरीजों में खून कम होने की अक्सर समस्या रहती है। जिससे उपचार के साथ उन्हें खून चढ़ाने की आवश्यकता होती है। वह खुद मरीजों की मदद के लिए रक्तदाता ग्रुप में शामिल हैं।
- डा. मुकेश यादव राजकीय मेडिकल कालेज प्राचार्य
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रक्तदाता ग्रुप में इस तरह है चिकित्सक व कर्मी शामिल
पदनाम - संख्या
सीनियर रेजीडेंट - 60
जूनियर रेजीडेंट - 50
स्टाफ नर्स - 200
एमबीबीएस प्रशिक्षु - 400
टेक्निशियन - 30
स्टोर कीपर व आपरेटर - 25
लिपिक वर्ग - 25
वार्ड ब्वाय - 60
कुल योग - 850
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यह ग्रुप भी करते हैं मदद
- मेडिकल कालेज के ब्लड बैंक में समाजसेवी ग्रुप भी स्वैच्छिक रक्तदाता के रूप में जुड़े हैं। इसमें रेड क्लब के 200 व सेवर्स आफ लाइन के 100 लोगों का पंजीयन है। आवश्यकता पड़ने पर इन्हें भी रक्तदान के लिए समय-समय पर बुलाया जाता है।