बुंदेलखंड में मधु क्रांति की अपार संभावनाएं, किसान बढ़ा सकते आय

जागरण संवाददाता बांदा बुंदेलखंड में मधु क्रांति की अपार संभावनाएं हैं। परागित फसलों की

By JagranEdited By: Publish:Wed, 20 Jan 2021 10:18 PM (IST) Updated:Wed, 20 Jan 2021 10:18 PM (IST)
बुंदेलखंड में मधु क्रांति की अपार संभावनाएं, किसान बढ़ा सकते आय
बुंदेलखंड में मधु क्रांति की अपार संभावनाएं, किसान बढ़ा सकते आय

जागरण संवाददाता, बांदा : बुंदेलखंड में मधु क्रांति की अपार संभावनाएं हैं। परागित फसलों की विविधता को देखते हुए मौनपालन के लिए वार्षिक फसल पंचाग तैयार किया जा रहा है, जिससे पूरे वर्षभर मधुमक्खियों के लिए मकरंद एवं परागकण की आपूर्ति हो सकेगी। कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय में कीट विज्ञान विभाग के तत्वावधान में बुधवार से मधुमक्खी पालन पर पांच दिवसीय प्रशिक्षण की शुरुआत की गई। कहा गया कि किसान जलवायु के अनुकूल फसलों का चयनकर अपनी आय दोगुनी कर सकते हैं।

कृषि महाविद्यालय के कीट विज्ञान विभाग तत्वाधान में अखिल भारतीय समन्वित अनुसंधान परियोजना मधुमक्खी, परागणकारी एवं पीआइ फाउंडेशन द्वारा आयोजित प्रशिक्षण का कुलपति डॉ. यूएस गौतम ने उद्घाटन किया। विशिष्ट अतिथि एवं मुख्य प्रशिक्षक पूर्व प्राध्यापक डॉ. रामाश्रित सिंह व बिहार के समस्तीपुर स्थित केंद्रीय कृषि विवि के डा. राजेन्द्र प्रसाद ने मधुमक्खी पालन की महत्ता एवं वैज्ञानिक तरीके से मधुमक्खी पालन के तरीकों पर विशेष बल दिया। कुलपति डॉ. यूएस गौतम ने बुंदेलखंड में मधुमक्खी पालन से आय अर्जन की संभावनाओं पर प्रकाश डालते हुए कृषकों को समूह में मधुमक्खी पालन करने के लिए प्रेरित किया।

डॉ. यूएस गौतम ने कहा कि बुंदेलखंड में जलवायु के अनुकूल फसलों के चुनाव एवं कृषकों की आय दोगुनी करने के लिए सरकार कई योजनाएं चला रही है। प्रवासी मौनपालन विधि को अपना कर तथा सामान्य मौनपालन यंत्रों का उत्पादन करके आयवृद्धि की जा सकती है। कीट विज्ञान विभाग के सहायक प्राध्यापक सचिव डा. एके सिंह ने कहा कि परागित फसलों की विविधता को देखते हुए मौनपालन के लिए वार्षिक फसल पंचाग तैयार किया जा रहा है, जिससे पूरे वर्षभर मधुमक्खियों के लिए मकरंद एवं परागकण की आपूर्ति हो सकेगी।

कृषि महाविद्यालय के प्रभारी अधिष्ठाता डा. मुकुल कुमार परागण के द्वारा फसल उत्पादकता वृद्धि एवं बुंदेलखंड में मधु क्रांति की संभावनाओं पर प्रकाश डाला। बुंदेलखंड के सभी जिलों से आए छह कीट वैज्ञानिकों व 30 प्रशिक्षणार्थियों ने प्रतिभाग किया। डा. चन्द्रकान्त तिवारी, डा. मुकेश कुमार मिश्र ने भी विचार व्यक्त किए। संचालन डा. दिनेश गुप्ता ने किया।

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