सर्पदंश से जा रही जान, सावधानी बचा सकती है जान
जागरण संवाददाता बांदा बारिश के सीजन में सांप के डसने की घटनाएं बढ़ गई हैं। बिलों में
जागरण संवाददाता, बांदा : बारिश के सीजन में सांप के डसने की घटनाएं बढ़ गई हैं। बिलों में पानी जाने से विषधर बाहर निकल आते हैं। इससे वह आबादी या ऊंचे स्थानों की ओर आ जाते हैं। इससे आए दिन लोग इनका शिकार हो जाते हैं। इन सांपों के काटने से कुछ लोगों की मौत हो जाती है तो कुछ लोग जो समय पर अस्पताल पहुंच जाते हैं। उनकी इलाज मिलने से उनकी जान बच जाती है। लेकिन घबराएं नहीं चिकित्सीय सुझाव मानकर विषधर के काटने के बाद भी धैर्य से काम लेकर जान बचाई जा सकती है।
जुलाई माह में जमकर हुई बारिश से इस माह बांदा में करीब 25 से 30 लोगों को इनके प्रकोप का शिकार हो गए। इनमें सात लोग काल का निवाला बने हैं। जबकि 18 लोगों ने सरकारी अस्पतालों में जाकर अपना उपचार कराया है। जिसमें एंटी स्नैक वैक्सीन व चिकित्सीय उपचार के बाद उनकी जान बची है। जिला अस्पताल के वरिष्ठ फिजिशियन डा. एसडी त्रिपाठी बताते हैं कि सांप के डसने के बाद मरीज को धैर्य नहीं खोना चाहिए। मन को मजबूत रखें। समय पर उपचार मिलने से मरीज की जान बच सकती है।
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ऐसे खुद को बचाएं
- जहां सांप ने काटा हो उससे करीब छह अंगुल की दूरी पर पहला बंधन लगाएं।
- बंधन इतना टाइट होना चाहिए कि उसमें कोशिश कर सिर्फ एक अंगुली ही जा सके।
- जहां सांप ने काटा हो उस घाव को डिटाल या एंटिसेप्टिक से साफ कर दें।
- मरीज को स्थिर कर दें, उसे ज्यादा हिलाना डुलाना नहीं है।
- जल्द से जल्द मरीज को चिकित्सक के पास लेकर जाएं।
- अगर सांप को देखा है तो चिकित्सक को बताएं कि कौन से सांप था ताकि उसके विष का आंकलन किया जा सके।
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जिले में यह है वैक्सीन की स्थिति
- जनपद के हर पीएचसी व सीएचसी में यानि 54 सेंटरों में पांच से चार वायल उपलब्ध है। इस तरह अस्पतालों में करीब 260 एंटी वैक्सीन वायल की उपलब्धता है। इसके अलावा 95 वैक्सीन की वायल भंडार कक्ष में सुरक्षित रखी है। चार सौ वायल का अलग से आर्डर लगाया गया है।
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