खूब बरसे मेघ पर नहीं बुझी बांध की प्यास
जागरण संवाददाता बांदा सीमावर्ती मध्यप्रदेश का रनगवां बांध जिले समेत आसपास की खेती में पैदा
जागरण संवाददाता, बांदा : सीमावर्ती मध्यप्रदेश का रनगवां बांध जिले समेत आसपास की खेती में पैदा होने वाली फसलों के लिए सिंचाई का बड़ा साधन है। इस साल सावन में खूब मेघ बरसे पर बांध की प्यास नहीं बुझी है। इसकी जल भंडारण क्षमता 5800 मिलियन घन फीट (एमसीएफ) है, लेकिन 15 जून से अब तक हुई वर्षा में महज 884 एमसीएफ पानी ही इकट्ठा हो सका है।
मध्यप्रदेश के रनगवां के साथ ही गंगऊ व बरियारपुर बांध भी बांदा को पानी देते हैं। इन बांधों से निकली नहरों के जरिये खरीफ व रबी की फसलों की सिचाई होती है। सावन के महीने में बुंदेलखंड के कई इलाकों में झमाझम बारिश हुई, लेकिन रनगवां में अब तक सबसे कम पानी का भंडारण हो सका है। भंडारित 884 एमसीएफ पानी में महज 564 एमसीएफ पानी ही इस्तेमाल में लाया जा सकता है। बाकी पानी डेड स्टोर में रहता है। सिंचाई विभाग के अफसरों का कहना है कि अब और बारिश नहीं हुई तो बांध का भरना काफी मुश्किल होगा। इसी बांध से मध्यप्रदेश को भी पानी मिलता है। ऐसी ही स्थिति रही तो आगे रबी की फसल में सिचाई के लिए पर्याप्त पानी मिलने में समस्या होगी। हालांकि, अभी अगस्त व सितंबर में बारिश से बांध भरने की उम्मीद है। रनगवां क्षेत्र में 225 मिमी. बारिश
15 जून से अब तक गंगऊ क्षेत्र में 304 मिमी., बरियारपुर में 128 मिमी. व रनगवां बांध क्षेत्र में 225 मिमी. बारिश रिकार्ड की गई है। सिचाई प्रखंड तृतीय की स्थानीय शाखा के मुताबिक, 52 दिनों में सबसे ज्यादा वर्षा गंगऊ और बरियारपुर में सबसे कम रिकार्ड की गई। अफसर कहते हैं, इतने दिनों में कम से कम 500 से 600 मिमी. बारिश होती तो बांध में पर्याप्त पानी होता। बांध क्षेत्र में कम बारिश के कारण ऐसी स्थिति बनी है। अगस्त-सितंबर में ठीक बारिश होने से बांध में पर्याप्त पानी की उपलब्धता होने की उम्मीद है।
- रामराज, अधिशासी अभियंता, सिचाई प्रखंड तृतीय।