बांदा में बोले किसान : हमै हल्ला गुल्ला अउर धरना कै फुर्सतय निहाय
बिहारी दीक्षित अतर्रा (बांदा) कृषि कानूनों के विरोध में अन्नदाता नहीं हैं। वो तो खेतीब
बिहारी दीक्षित, अतर्रा (बांदा) : कृषि कानूनों के विरोध में अन्नदाता नहीं हैं। वो तो खेतीबाड़ी में जुटे हैं। ये सच रविवार को तहसील क्षेत्र के ग्राम सेमरिया-कुशल में किसानों के खेतों पर काम करते दिखाई पड़ने से सामने आया है। कोई परिवार समेत सिंचाई में व्यस्त था तो कोई पलेवा के बाद बोआई की तैयारी करता मिला। किसानों ने कहा कि सरकार का हम किसानन कै चिता हवै, हमै हल्ला गुल्ला अउर धरना कै फुर्सतय निहाय। खेती मा पानी लगावै का समय हवै, अगर या समय हल्ला मचइबे तव लरकन बच्चन का पेट कसत भरबे।
ग्राम सेमरिया-कुशल में पति करीम की मौत के बाद खेती को जीवन यापन का आधार बनाने वाली किसान नज्जो ने कहा कि जमीन खरीद लेंय भर से कोऊ किसान नई हुई जात आय, शरीर का ख्यातन मा खपावय का परत हवै, तबै जाकै किसान कहावत हवै।
किसान रजऊवा आंदोलन से बेहद खफा दिखे। कहा कि कुरता पैजामा पहिन कै ई नेता किसान बने हवैं, अउर इनका खेतन में कबै पानी लागी या तक पता न होई। कुछ ऐसे ही अंदाज में ग्रामीण इलाकों में किसान कृषि कानूनों को लेकर हल्ला मचाने वालों को खरी-खोटी सुना रहे हैं। ज्यादातर का मानना है कि केंद्र सरकार किसानों के खिलाफ कोई फैसला नहीं लेगी।
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सम्मान निधि लागू कइके हम छोटन किसानन कै ऊपर बहुतै बड़ा उपकार कीन हइन। बिना कोऊ से करजा लीन्हे खाद अउर बीजा खरीदे के व्यवस्था कै दीन हइन। बालेश्वर तिवारी, सेमरिया-कुशल
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कउनौ किसान नोहो हल्ला मचावत हवै। सब आपन-आपन खेती करत हैं, ई सब चमकदार कुरता पहिन कै किसानन कै बात करके आपन नेतागिरी आ चमकावत हवैं।
रामसहाय यादव, सेमरिया कुशल