बांदा में आढ़ती व प्रभारियों की जुगलबंदी में लुट रहा किसान

जागरण संवाददाता बांदा धान खरीद में आढ़ती और केंद्र प्रभारियों की जुगलबंदी में किसान लुट

By JagranEdited By: Publish:Fri, 27 Nov 2020 11:56 PM (IST) Updated:Fri, 27 Nov 2020 11:56 PM (IST)
बांदा में आढ़ती व प्रभारियों की जुगलबंदी में लुट रहा किसान
बांदा में आढ़ती व प्रभारियों की जुगलबंदी में लुट रहा किसान

जागरण संवाददाता, बांदा : धान खरीद में आढ़ती और केंद्र प्रभारियों की जुगलबंदी में किसान लुट रहा है। आढ़ती किसानों का धान माटी मोल लेकर उन्हीं की आइडी व रजिस्ट्रेशन पर इसे केंद्रों में देकर समर्थन मूल्य का पूरा फायदा उठा रहे हैं। इसमें प्रभारियों को भी अच्छा खासा कमीशन मिल रहा है। अधिकारियों के पास इसकी शिकायतें भी पहुंच रही हैं, पर इस खेल में कोई अंकुश नहीं लग पा रहा है।

जिले में धान खरीद के लिए 48 केंद्र खोले गए हैं। इनमें खरीद तो हो रही है, पर सीधे किसानों से नहीं। यहां ज्यादातर सीधे आढ़तियों का धान लिया जा रहा है, वह भी किसानों की ही खसरा-खतौनी व पंजीयन रसीद पर। दरअसल केंद्रों में किसान धान बेंचने जाते हैं तो उनका नंबर ही नहीं आता। नंबर आता है तब तक किसान भाड़े के नाम पर लुट चुका होता है। तौल में भी केंद्र प्रभारी उनसे पल्लेदारी के नाम पर 40 से 50 रुपये वसूलते हैं। ऊपर से जल्दी धान तौलने के लिए पल्लेदारों की फौज की आवाभगत पर भी खर्च करने होते हैं। इन फजीहत से बचने के लिए किसान विवश होकर आढ़तियों के यहां धान बेंचने को मजबूर हो जाता है। यहां आढ़ती किसानों का धान 1100-1200 रुपये प्रति क्विंटल खरीदते हैं। साथ ही उनकी आइडी व रसीद भी ले लेते हैं। इसी आइडी व रसीद के आधार पर आढ़ती किसानों का धान सीधे प्रभारियों से साठगांठ कर केंद्रों में पहुंचाते हैं। आढ़ती इस खेल में प्रति क्विंटल 600 से 700 रुपये फायदा कमाते हैं। इसमें केंद्र प्रभारियों को भी अच्छा खासा कमीशन देते हैं। इस खेल के बारे में अधिकारियों को भी पता है, लेकिन इस पर कोई कार्रवाई नहीं हो रही है।

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क्या कहते हैं किसान

-केंद्रों में नंबर लगाकर कई दिनों तक लेटना पड़ता है। भाड़े के नाम पर किसानों को घाटा उठाना पड़ता है। उधर, बुवाई का कार्य भी चल रहा है। उसका अलग नुकसान होता है। इसलिए आढ़ती के यहां 1400 रुपये में धान बेंच रहे हैं।

-किसान अजय यादव, पचनेही

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-इस वर्ष बासमती धान किया था। केंद्र में इसे नहीं खरीदा जा रहा है। यह धान न पतले में है और न ही मोटे में। मजबूरी में आढ़तियों के यहां इसे माटीमोल बेंचना पड़ रहा है। सरकारी केंद्र में तो धान बेंचना टेढ़ी खीर है।

-किसान अमरेंद्र तिवारी, जारी

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बोले अधिकारी

-पूरे जिले का धान एक ही दिन में नहीं खरीदा जा सकता। 28 फरवरी तक खरीदा होना है। किसान धैर्य रखें और नंबर लेकर केंद्र में ही बेंचे। किसी का भी धान नहीं रह जाएगा। आढ़ती के यहां किसान धान न बेंचे। बासमती धान केंद्रों में खरीदने की व्यवस्था नहीं है।

-गोविद उपाध्याय, जिला खाद्य विपणन अधिकारी

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