नदी में उतराता मिला घर से लापता मासूम का शव
संवाद सूत्र जसपुरा अमारा गांव स्थित घर से एक दिन पहले लापता हुए छह साल के बच्चे का चंद्रायल
संवाद सूत्र जसपुरा : अमारा गांव स्थित घर से एक दिन पहले लापता हुए छह साल के बच्चे का चंद्रायल नदी में शव उतराता मिला। नाक से खून निकला मिलने पर मामला संदिग्ध लग रहा है। ग्रामीण ने शव देखा तो स्वजन को सूचना दी। बेटे का शव देख चीख-पुकार मच गई। पुलिस ने शव पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया। थानेदार ने बताया कि पिता ने किसी पर कोई शक नहीं जताया है। मामले की हर बिदु पर छानबीन की जा रही है।
थाना क्षेत्र के ग्राम अमारा निवासी दिलीप सिंह अहमदाबाद में रहकर मजदूरी करता है। चार माह पहले ही वह लौटा है। उसका छह वर्षीय पुत्र शिवराज सोमवार दोपहर से लापता हो गया। घर से खेलने की बात कहकर वह निकला था। शाम तक घर वापस न लौटने पर स्वजन ने खोजबीन शुरू की। थाने में सूचना दी। मंगलवार सुबह चंद्रायल नदी में गांव के लोग उस पार से इस पार आ रहे थे। तभी उन्होंने नदी में बालक का शव उतराता देखा। इसकी सूचना पुलिस व गांव वालों को दी। मौके पर पहुंचे स्वजन ने बालक की शिनाख्त की। पुलिस ने पंचनामा कर शव मुख्यालय भेज दिया। पिता ने बताया कि उनके दो पुत्र एक पुत्री है जिसमें शिवराज सबसे छोटा था।
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घर के बाहर खेल रहा मासूम नाले में गिरा, मौत
संवाद सहयोगी अतर्रा : आजाद नगर निवासी राकेश रैकवार का चार वर्षीय इकलौता पुत्र ऋषि मंगलवार दोपहर एक बजे घर के बाहर खेलने निकला था। उस समय उसकी मां सुधा कपड़े सिल रही थीं। एक घंटे से ज्यादा समय गुजरने के बाद जब ऋषि वापस नहीं लौटा, तब सुधा ने आसपास घरों में खोजबीन शुरू की। कोई जानकारी न होने पर मुहल्लेवासी भी खोजबीन में जुट गए। तभी मोहल्ले की एक किशोरी ने घर से दस मीटर दूर नाले में चप्पल तैरती देखी। जिसके बाद आननफानन तलाश कर उसे बाहर निकाला गया। स्वजन सीएचसी अतर्रा ले गए, जहां चिकित्सक ने मृत घोषित कर दिया। इकलौते पुत्र की मृत्यु से बेहाल मां बदहवास हो गईं। उसके मुंह से केवल इतना ही निकल रहा है कि इस वर्ष मेरे बच्चे को स्कूल पढ़ने जाना था। इनसेट
नाला में पटिया न होने से हुआ हादसा
मोहल्ले की जलनिकासी की समस्या को देखते हुए आठ वर्ष पूर्व तत्कालीन पालिकाध्यक्ष पुष्पा जाटव ने दो सौ मीटर लंबाई का नाला बनवाया था। उसको पटिया से नहीं ढकवाया गया। ऐसे ही नगर के विभिन्न मोहल्लों में बने नाला का भी हाल है। जो सड़क किनारे खुले हादसों को दावत देते हैं, लेकिन पालिका प्रशासन लापरवाह बना हुआ है। यदि नाला पटिया से ढका होता, तो शायद मासूम की जान न गई होती।