दलहन-तिलहन की महक के साथ चमकेगा अरंडी-रेशम
जागरण संवाददाता बांदा बुंदेलखंड में कई प्रकार की फसलें पैदा होती हैं। यह इलाका दलहनी
जागरण संवाददाता, बांदा : बुंदेलखंड में कई प्रकार की फसलें पैदा होती हैं। यह इलाका दलहनी फसलों का गढ़ है। लेकिन बहुत से क्षेत्रों में धान व रेशम कीट पालन के लिए अरंडी की खेती किसानों की आजीविका का साधन है। किसान रबी के साथ रेशम की तैयारियों में लगे हैं। जल्द ही नया लक्ष्य मिलने की उम्मीद है।
बुंदेलखंड कृषि प्रधान क्षेत्र है। अकेले चित्रकूटधाम मंडल में करीब दस लाख हेक्टेअर रकबा विभिन्न फसलों से लहलहाता है। रबी के लिए कृषि विभाग ने हाल ही में कार्य योजना जारी की है। इस साल नौ लाख 33 हजार हेक्टेअर से अधिक रकबे में गेहूं, चना, मटर, मसूर जैसी फसलें बोयी जाएंगी। किसान तैयारियों में लगे हैं। वहीं यमुना व केन नदी पट्टी के गांव में रेशम की खेती को लेकर भी किसान तैयारी करने लगे हैं। इस साल अरंडी की बोआई का अभी लक्ष्य नहीं मिला। उम्मीद जताई जा रही है कि जल्द ही आच्छादन लक्ष्य जारी हो जाएगा। पिछले वर्ष जिले के कमासिन, जसपुरा, नरैनी, तिदवारी, बबेरू व बड़ोखर विकासखंड में करीब 850 एकड़ में किसानों ने अरंडी की बोआई की थी। साथ ही रेशम उत्पादन के लिए कीट पालन किया है।
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साढ़े चार सौ किसान कर रहे रेशम की खेती
बांदा : जिले के नदी तटवर्ती क्षेत्रों में अरंडी उत्पादन ज्यादा होता है लेकिन अन्य क्षेत्रों में भी इसकी खेती की जा रही है। विभागीय आंकड़ों के मुताबिक मौजूदा समय करीब साढ़े चार सौ किसान अरंडी की पैदावार कर रेशम की खेती का कार्य कर रहे हैं।
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-इस साल के लिए अरंडी उत्पादन का लक्ष्य जल्द ही मिलने की संभावना है। किसान तैयारियां कर रहे हैं। जल्द मिलते ही अग्रिम कार्य योजना पर कार्य शुरू हो जाएगा।
-नरेंद्र सेंगर, सहायक रेशम अधिकारी