जांच रिपोर्ट के आधार पर अतर्रा नगर पालिका अध्यक्ष बर्खास्त
संवाद सहयोगी अतर्रा (बांदा) राज्यपाल की संस्तुति पर अपर मुख्य सचिव नगर विकास विभाग ने प्रशासन
संवाद सहयोगी अतर्रा (बांदा) : राज्यपाल की संस्तुति पर अपर मुख्य सचिव नगर विकास विभाग ने प्रशासन से मिली जांच रिपोर्ट के आधार पर नगर पालिका परिषद अतर्रा के चेयरमैन को बर्खास्त किया है। बर्खास्त चेयरमैन अक्टूबर 2020 से वित्तीय व प्रशासनिक अधिकारों से निलंबित हो कार्यवाही के घेरे में चल रहे थे। एसडीएम सौरभ शुक्ला ने कहा कि चेयरमैन के विरुद्ध कार्रवाई के संबंध में अभी तक उन्हें कोई पत्र नहीं मिला है।
नगर पालिका परिषद अतर्रा के चेयरमैन कम्युनिस्ट पार्टी से चुनाव जीते थे। एक वर्ष बाद ही सभासदगण चेयरमैन के विरुद्ध वित्तीय अनियमितताओं का आरोप लगाते हुए पाला खींचते हुए उच्चाधिकारियों से शिकायत करना शुरू कर दिया था। इसी क्रम में क्षेत्रीय विधायक, सदर विधायक समेत सभासदों की शिकायत पर 10अक्टूबर 2019 को तत्कालीन जिलाधिकारी बांदा ने तीन सदस्यीय व 23अक्टूबर 2019 को तत्कालीन मंडलायुक्त चित्रकूट धाम बांदा ने सयुंक्त विकास आयुक्त की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय गठित टीम ने नौ बिदुओं पर जांच किया था। जिसके उपरांत जांच आख्या नगर विकास विभाग लखनऊ पहुंचने पर 11फरवरी 2020 को कारण बताओ नोटिस जारी किया था।इसके उपरांत नगर विकास विभाग अनुभाग-6 के पत्रांक 55/6-2020 के निर्देश पर पालिकाध्यक्ष अतर्रा जगदीश प्रसाद गुप्ता के वित्तीय व प्रशासनिक शक्तियों, कर्तव्यों का प्रयोग निष्पादन और निर्वाहन करने से रोकते हुए अंतिम सुनवाई की तिथि 13नवंबर 2020 निर्धारित किया था। लेकिन चेयरमैन अस्वस्थ होने की बात कह सुनवाई में उपस्थित नहीं हुए थे। जिसके उपरांत नगर विकास विभाग अनुभाग-6 के अपर मुख्य सचिव डा. रजनीश दुबे ने पालिका अधिनियम की धारा 48-2(क) एवं (ख) के अंतर्गत कर्तव्य पालन में चूक,कर्तव्यों के निर्वाहन में लापरवाही, पालिका निधि को हानि पहुंचाने, पालिका निधि का दुर्विनियोग व पालिका हित के प्रतिकूल कार्य करने का दोषी मानते हुए राज्यपाल के पास कार्रवाही हेतु जांच आख्या भेजी। नगर विकास विभाग की जांच आख्या के आरोपों के आधार पर राज्यपाल की संस्तुति मिलने पर अपर मुख्य सचिव ने 29 जुलाई 2021 को जिलाधिकारी बांदा को भेजे पत्र संख्या 22 में चेयरमैन को पद से बर्खास्त कर दिया है।
चेयरमैन जगदीश प्रसाद गुप्ता ने बताया कि भ्रष्टाचार के लगे सभी आरोप बेबुनियाद हैं। पद से बर्खास्तगी के संबंध में कोई जानकारी नहीं है और न ही शासन-प्रशासन द्वारा कोई पत्र प्राप्त नहीं हुआ है।
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