खेतों पर मंडराता खतरा, दहशत के साये में उग रही फसल

खेतों के ऊपर लटकते तार करते हैं किसानों को परेशान - मजबूर हैं कृषक एक चिगारी से राख हो जाती है फसल

By JagranEdited By: Publish:Thu, 04 Mar 2021 10:35 PM (IST) Updated:Thu, 04 Mar 2021 10:35 PM (IST)
खेतों पर मंडराता खतरा, दहशत के साये में उग रही फसल
खेतों पर मंडराता खतरा, दहशत के साये में उग रही फसल

बलरामपुर : बिजली विभाग की उदासीनता किसानों पर भारी पड़ रही है। खेतों के ऊपर लटकते तार फसलों के लिए मुश्किल का सबब हैं। हवा चलने पर तारों से निकलने वाली चिगारी पल भर में सब कुछ राख कर देती है। खेतों में फसल जलने के साथ ही अक्सर मवेशियों को भी जान गंवानी पड़ती है। इसमें किसानों व पशुपालकों को क्षतिपूर्ति भी नहीं मिलती है। विभागीय अधिकारी हर साल योजनाओं की झड़ी लगाकर सब कुछ दुरुस्त करने का दावा तो करते हैं, लेकिन हकीकत इससे परे है।

सता रही आग लगने की आशंका :

श्रीदत्तगंज क्षेत्र के पड़री रैकवार, जीतनगर, गुलरहा, अहिरौला नगवा, महदेइया सिरसिया, शिवपुर महंत, इटईमैदा, केरावगढ़, सझवल प्रेमनगर सहित अन्य गांवों में खेतों के ऊपर से होईटेंशन तार गुजर रहे हैं। विद्युत पोल व तार जगह-जगह ढीले हो गए हैं। ऐसे में हवाएं चलने पर ढीले विद्युत तार आपस में टकराते रहते हैं। इससे किसानों को खेतों में आग लगने की आशंका सताती रहती है।

ललिया के किसान रामचंद्र के खेत से होकर से हाईटेंशन लाइन गुजरी है। किसान का कहना है कि हाईटेंशन तार खेत के ऊपर गुजरने से हमेशा दहशत बनी रहती है। विद्युत आपूर्ति बहाल होने पर तारों में झनझनाहट बनी रहती है। बताया कि करीब पांच वर्ष पूर्व हाईटेंशन तार टूटकर गिर जाने से गेहूं की फसल राख हो गई थी। इसका मुआवजा अब तक नहीं मिला है। रेहराबाजार क्षेत्र के बढ़या फरीदखां, किशुनपुर ग्रंट, बसावन बनकट, केराडीह गांवों में खेत के ऊपर से निकले विद्युत तार किसानों की परेशानी का सबब बने हुए हैं।

किसान बाबादीन, मनसाराम, राम सजीवन, मुन्नालाल का कहना है कि हवाएं चलते ही बेचैनी बढ़ जाती है। विद्युत विभाग के अधिकारियों से कई बार लिखित व मौखिक शिकायत की गई, लेकिन अफसर उदासीन बने हुए हैं।

सूचना पर होती त्वरित कार्रवाई :

अधीक्षण अभियंता ललित कुमार का कहना है कि लटकते व जर्जर तारों को बदलने का कार्य नियमित किया जाता है। ग्रामीणों की सूचना पर त्वरित र्कारवाई की जाती है। हाईटेंशन लाइन से फसल जलती है तो उसकी रिपोर्ट विद्युत सुरक्षा निदेशालय से ली जाती है। उसके बाद ही मुआवजा की प्रक्रिया शुरू होती है।

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