ओम नम: शिवाय : शिवगढ़ धाम मंदिर की अनोखी कहानी
शिवगढ़ धाम मंदिर में लगता है आस्था का मेला सावन में लगती है श्रद्धालुओं की भीड़
बलरामपुर: पचपेड़वा क्षेत्र के ग्राम पंचायत विशुनपुर टनटनवा में शिवगढ़ धाम मंदिर स्थित है जो आस्था का केंद्र है। मंदिर देश में ही नहीं नेपाल में भी विख्यात है। मंदिर में आज भी लोग प्राकृतिक शिवलिग का दर्शन करते हैं। यहां प्रत्येक सोमवार, शुक्रवार, महाशिवरात्रि, कजलीतीज पर श्रद्धालु दर्शन करने आते हैं। जलाभिषेक करने के लिए श्रद्धालुओं की भारी भीड़ जुटती है। इतिहास :
- शिवगढ़ धाम मंदिर करीब 200 वर्ष पुराना है। विशुनपुर टनटनवा निवासी पाले आरख फावड़ा से अपने खेतों की खुदाई कर रहे थे। अचानक एक पत्थर पर फावड़ा पड़ा। इसमें से खून निकलने लगा। पाले खेतों से भागकर अपने घर पहुंचे और परिवार वालों को बताया। उसी रात भोलेशंकर ने उसको सपना दिखाया कि उसी स्थान पर काफी नीचे सोने की अशर्फी रखी है। उसे निकालकर उसी जगह पर मंदिर का निर्माण करो। पाले आरख ने अशर्फी निकालकर वहां मंदिर का निर्माण करवाया। जिसे लोग शिवगढ़ धाम के नाम से जानते हैं। मंदिर में वही शिवलिग आज भी स्थापित है। जिस पर फावड़ा लगने के बाद खून निकला था। कटे का निशान आज भी शिवलिग पर देखा जा सकता है। बाद में मंदिर के बगल मां पार्वती का मंदिर बनवाया गया। तैयारियां :
- श्रावण मास शुरू होते ही मंदिर में रंगाई-पोताई कराई जाती है। प्रकाश, पेयजल की व्यवस्था मंदिर समिति करवाता है। परिसर की साफ-सफाई कराई जाती है। भक्तों के लिए बेलपत्र, फूल-माला की दुकानें भी लगाई जाती हैं। - मंदिर में मेरे पूर्वज पूजा करते थे। आज मेरा परिवार शिवगढ़ धाम मंदिर में पूजा करते हैं। श्रावण मास, कजलीतीज, शिवरात्रि में जलाभिषेक के लिए सुबह से भक्तों की भीड़ जुट जाती है। यहां भक्तों की मनोकामना पूरी होती है। मंदिर में केवल शिवलिग स्थापित है। इसके अलावा कोई और मूर्ति नहीं है।
- प्रभु गिरि, पुजारी
- मंदिर परिसर में साफ-सफाई का विशेष ध्यान दिया जाता है। कोरोना काल में श्रद्धालुओं के दर्शन के लिए विशेष इंतजाम किए गए हैं। शारीरिक दूरी का ध्यान रखकर जलाभिषेक कराया जाता है। समिति द्वारा मंदिर में आए भक्तों के लिए जल, प्रसाद की व्यवस्था की जाती है। पचपेड़वा से मंदिर तक रिक्शा या अपने वाहन से आसानी से पहुंचा जा सकता है।
- बाबूलाल कौशल, मंदिर व्यवस्थापक