सिमट रहा तालाब का आकार, संरक्षण की दरकार
गौरा चौराहा में 80 साल पहले बना था तालाब अतिक्रमण से बदल गया स्वरूप
बलरामपुर : क्षेत्र में करीब 80 साल पहले बना तालाब कभी आमजन की प्यास बुझाता था। लोग तालाब के पानी का इस्तेमाल नहाने के लिए भी करते थे। तालाब के सामने मंदिर होने से लोगों की इसमें धार्मिक आस्था भी थी। विवाह व अन्य मांगलिक कार्य यहीं पर संपन्न होते थे।
धीरे-धीरे अतिक्रमण की बाढ़ आने से तालाब का दायरा सिमटने लगा। तालाब के तीन छोरों पर कब्जा हो जाने से इसका स्वरूप बदल गया। आज भी तालाब में पानी तो भरा है, लेकिन रखरखाव व सुंदरीकरण के अभाव में स्नान योग्य नहीं रह गया है। हालांकि पशुपालक इसका इस्तेमाल पशुओं की प्यास बुझाने में कर रहे हैं। साथ ही किसान खेतों की सिचाई भी करते हैं। जरूरत है तालाब के कायाकल्प की, ताकि गांव की यह अमूल्य धरोहर कभी समाप्त न होने पाए।
विद्यासागर वर्मा, अरुण चौधरी, कनिकराम, रामजी, संजय, बुद्धू का कहना है कि जबसे होश संभाला है, तालाब में हमेशा पानी भरा देखा है। बुजुर्गों के मुताबिक पहले उतरौला व तुलसीपुर को आने-जाने वाले राहगीर इसी तालाब का पानी पीते थे। तालाब में नहाने के बाद सामने स्थित मंदिर में दर्शन करते थे। इसके बाद लोगों में तालाब की जमीन पर अतिक्रमण करने की होड़ मच गई।
परिणामस्वरूप तालाब का आकार छोटा हो गया। यही नहीं, जलस्तर घटने के कारण पानी की गहराई भी कम हो गई। ग्रामीणों का कहना है कि गर्मी में प्यास से बेहाल पशु-पक्षी यहां आकर अपनी प्यास बुझाते हैं। बावजूद इसके जिम्मेदार अफसर तालाब के सुंदरीकरण की जहमत नहीं उठा रहे हैं।
कराया जाएगा सुंदरीकरण :
अपर जिलाधिकारी अरुण कुमार शुक्ल का कहना है कि मनरेगा के तहत तालाब का सुंदरीकरण कराया जाएगा।