उपेक्षा में जकड़ा टेलीमेडिसिन का इलाज
क्षेत्रवासियों को अपनी बीमारी का इलाज कराने के लिए शहर के अस्पतालों का चक्कर
बलरामपुर:
क्षेत्रवासियों को अपनी बीमारी का इलाज कराने के लिए शहर के अस्पतालों का चक्कर न लगाना पड़े, इसके लिए उतरौला मार्ग पर करीब 10 किलोमीटर दूर बघनी-ई प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में टेलीमेडिसिन व्यवस्था शुरू की गई थी। एक निजी कंपनी के अधीन इस अस्पताल का समुचित लाभ क्षेत्र के मरीजों को मिल पाता, उसके पहले अव्यवस्था ने जकड़ लिया।
उतरौला-बलरामपुर मार्ग पर सड़क से हटकर गांव में बने इस अस्पताल को जाने वाले रास्ते पर बोर्ड तक नहीं लगाया गया है। इससे कम ही लोगों को यहां मिलने वाले इलाज की जानकारी हो पाती है। अस्पताल की चहारदीवारी टूट गई है। इससे बेसहारा पशु अस्पताल परिसर में घूमते रहते हैं। पूरे अस्पताल परिसर में भीषण जलभराव के साथ बड़ी-बड़ी घास उग आई है। इससे अस्पताल की हालत बद से बदतर होती जा रही है। अस्पताल परिसर में ही आवास बने हैं जो किसी के न रुकने व देखरेख के अभाव में पूरी तरह से खंडहर होते जा रहे हैं। कम आ रहे रहे मरीज :
एक निजी संस्था के अधीन अस्पताल का संचालन किया जा रहा है जो आने वाले मरीजों को टेलीमेडिसिन के माध्यम से इलाज मुहैया करा रही है। सोमवार को यहां सुबह से केवल आठ मरीज आए थे। एएनएम नीलम मिश्र गांव के ही निवासी बुखार से परेशान प्रेम का इलाज करती दिखीं। इलाज के बाद फार्मासिस्ट प्रदीप द्विवेदी ने दवाएं दी। एलटी संजय कुमार ने बताया कि अस्पताल में ब्लड प्रेशर, सुगर, ईएसआर, ईसीजी, हीमोग्लोबिन, मलेरिया, एचआइवी समेत अन्य 22 जांचें की जाती है। कर्मियों का कहना था कि सामान्य दिनों में भी मरीजों की संख्या 22 से ऊपर नहीं पहुंच पाती है। प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के अधीक्षक डा.जावेद अख्तर का कहना है कि टूटी चहारदीवारी का निर्माण गुरुवार से शुरू हो जाएगा। बारिश निकलते ही सफाई करा दी जाएगी। मरीजों की संख्या बढ़ाने के लिए पर्यवेक्षण कर व्यवस्था में सुधार लाएंगे। साथ ही ग्रामीणों को भी जागरूक किया जाएगा।