नेपाल तक सड़क तैयार, मगर बंदिशों ने खड़ी की दीवार
नेपाल में लमही तक 24 किलोमीटर टू-लेन सड़क बनी कोरोना के कारण नेपालियों को लगा झटका
बलरामपुर : भारत-नेपाल के रोटी-बेटी का संबंध सदियों पुराना है। इसे और प्रगाढ़ करने के लिए बालापुर, जरवा होते हुए नेपाल के अंदर हाईवे तक सीधी सड़क तैयार हो गई है। भारत व नेपाल सरकार के परस्पर सहयोग से बनने के बाद रिश्तों की डोर मजबूत होने की आस जगी थी, लेकिन कोरोना महामारी ने एक बार फिर दीवार खड़ी कर दी है।
कोरोना की बंदिशों के कारण सीमा पार वाहनों का आवागमन पूरी तरह बंद है। फिलहाल पैदल लोगों को आने-जाने दिया जाता है, लेकिन 24 अप्रैल से इस पर भी प्रतिबंध लगा दिया जाएगा। कोयलाबास बार्डर पर सन्नाटा पसर गया है। भारतीय पर्यटकों का आवागमन बंद होने से यहां के व्यापारी भी तंगहाली से जूझ रहे हैं।
24 किलोमीटर बनी सड़क :
तुलसीपुर से कोयलाबास बार्डर की दूरी 24 किलोमीटर है। कोयलाबास तक तो सीधी सड़क होने से भारतीय आसानी से पहुंच जाते थे, लेकिन नेपाल में प्रवेश के बाद अपेक्षित सड़क नहीं थी।
इंडो-नेपाल सरकार के प्रयास से कोयलाबास से नेपाल के अंदर लमही तक 24 किलोमीटर टू-लेन सड़क बनवाई गई, जो सीधे हाईवे को जोड़ती है। यह सड़क बन जाने से यहां व्यापार की राह आसान होगी, लेकिन बार्डर बंद होने से उम्मीद परवान नहीं चढ़ पा रही है। एक तरफ नेपाली पुलिस व दूसरी तरह एसएसबी बार्डर की निगरानी में जुटी हैं।
भारत पर निर्भर नेपालियों को झटका :
भारत-नेपाल सीमा पर स्थित कोयलाबास के लोगों को आवागमन बंद होने से करारा झटका लगा है। वजह, सब्जी, राशन से लेकर इलाज तक के लिए यहां के बाशिदे भारत के बाजारों पर निर्भर हैं। कोयलाबास की प्राकृतिक छटा भारतीय पर्यटकों को खूब लुभाती है। पर्यटकों के आवागमन से नेपाल का बाजार गुलजार रहता था, लेकिन कोरोना महामारी के कारण यहां सन्नाटा पसरा है।
बरती जा रही विशेष सतर्कता :
एसएसबी के सहायक कमांडेंट लामा टी-सिरिग का कहना है कि फिलहाल दोनों देशों के लोगों को आपातकाल में पैदल आवागमन की अनुमति है। कोरोना महामारी को लेकर विशेष सतर्कता बरती जा रही है।