रियासत की याद दिलाता मेवालाल तालाब, लोगों की जुड़ी है आस्था
अतिक्रमण की होड़ में तालाब के वजूद पर मंडरा रहा खतरा कायाकल्प की दरकार
बलरामपुर : सदर ब्लॉक के मेवालाल तालाब मुहल्ले में स्थित करीब सौ साल पुराना तालाब कभी आमजन की प्यास बुझाता था। तालाब के नाम पर ही मुहल्ले का नाम मेवालाल तालाब पड़ा। लोग तालाब के पानी का इस्तेमाल नहाने के लिए भी करते थे। यही नहीं विवाह व अन्य मांगलिक कार्य यहीं पर संपन्न होने के कारण लोगों की धार्मिक आस्था भी इससे जुड़ी थी।
धीरे-धीरे आधुनिकता की चकाचौंध व अतिक्रमण की होड़ में लोग इस अमूल्य धरोहर को सहेजना भूल गए। आज भी तालाब में पानी तो भरा है, लेकिन रखरखाव व सुंदरीकरण को जिम्मेदार आगे नहीं आ रहे हैं। अतिक्रमण के चलते तालाब का स्वरूप सिमटता जा रहा है। जरूरत है तालाब के कायाकल्प की, ताकि शहर की अमूल्य धरोहर का वजूद बना रहे।
नंदलाल तिवारी, मुकेश सिंह, अखिलेश शर्मा, संजय पांडेय, वैभव त्रिपाठी का कहना है कि मेवालाल तालाब का वजूद बलरामपुर राज परिवार के दौर से कायम है। उस समय तालाब के निर्मल व स्वच्छ पानी का इस्तेमाल लोग पीने व नहाने के लिए करते थे। रियासत के बाद यह तालाब सरकार के अधीन हो गया। धीरे-धीरे तालाब की जमीन पर अतिक्रमण करने की होड़ मच गई। परिणामस्वरूप तालाब का आकार छोटा हो गया। मुहल्लेवासियों का कहना है कि तालाब में वर्षा का जल संचित होता है। गर्मी में प्यास से बेहाल पशु-पक्षी यहां आकर अपनी प्यास बुझाते हैं, लेकिन आमजन इसमें गंदगी व अतिक्रमण करने से बाज नहीं आ रहे हैं। जिम्मेदार अफसर भी तालाब के सुंदरीकरण की जहमत नहीं उठा रहे हैं। वहीं, अपर जिलाधिकारी अरुण कुमार शुक्ल का कहना है कि तालाब की जमीन से अतिक्रमण हटवाया जाएगा।