मनरेगा बनी कर्णधार, श्रमिकों को गांव में ही मिल रहा रोजगार

कोरोना महामारी के दौरान परदेश से लौटे प्रवासियों को गरीबी से निजात दिलाने में भी मनरेगा मील का पत्थर साबित हुई।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 20 Jan 2021 10:08 PM (IST) Updated:Wed, 20 Jan 2021 10:08 PM (IST)
मनरेगा बनी कर्णधार, श्रमिकों को गांव में ही मिल रहा रोजगार
मनरेगा बनी कर्णधार, श्रमिकों को गांव में ही मिल रहा रोजगार

- गांवों में ही लोगों को 100 दिन का रोजगार उपलब्ध कराने के लिए महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना जिले में रंग ला रही है। कोरोना महामारी के दौरान परदेश से लौटे प्रवासियों को गरीबी से निजात दिलाने में भी मनरेगा मील का पत्थर साबित हुई। 800 ग्राम पंचायतों में सवा लाख से अधिक श्रमिक मनरेगा के तहत गांव में ही रोजगार कर रहे हैं। चालू वित्तीय वर्ष में 58 लाख मानव दिवस सृजन का लक्ष्य है। 20 जनवरी तक 52.27 लाख मानव दिवस सृजित हो चुके हैं। मनरेगा योजना वृहद होने से जॉब कार्ड धारकों व जनप्रतिनिधियों को अक्सर परेशानी का सामना करना पड़ता है। ऐसे में वह उपायुक्त श्रम रोजगार के मोबाइल नंबर 7355171725 पर संपर्क कर सकते हैं। मनरेगा से जुड़े सवालों का जवाब देने के लिए उपायुक्त श्रम रोजगार महेंद्र देव बुधवार को दैनिक जागरण कार्यालय में मौजूद रहे। उन्होंने पाठकों को मनरेगा की प्रगति, योजनाओं व जॉब कार्ड के बारे में कई आवश्यक जानकारी दी। पाठकों के सवालों का जवाब देकर उनकी जिज्ञासा को शांत किया। सवाल : मनरेगा के तहत पशुपालन के लिए क्या कोई योजना है। इसके लिए कैसे आवेदन किया जाता है?

- श्यामुद्दीन, इटई रामपुर

जवाब : मनरेगा से जिले में 42 सामुदायिक पशु आश्रय स्थल बन चुके हैं। पशुशाला के लिए ग्राम समाज या नवीन परती की कम से कम एक हेक्टेयर जमीन आवश्यक है। जमीन यदि चारागाह के बगल है, तो उत्तम है। पशु आश्रय स्थल में चरही, फाउंडेशन, पानी, हैंडपंप व सुरक्षा के लिए एक कमरा बनवाया जाता है। इसके लिए ब्लॉक व विकास भवन कार्यालय में आवेदन कर सकते हैं। सवाल : हमारी ग्राम पंचायत में कई माह से मनरेगा का कार्य ठप है। ऐसे में श्रमिकों को रोजगार नहीं मिल पा रहा है।

- राधेश्याम, सिकटिहवा

जवाब : मनरेगा मांग आधारित योजना है। जॉब कार्ड धारक काम मांगते हैं, तो 15 दिन के भीतर कार्य दिया जाता है। ब्लॉक व सीडीओ कार्यालय में लिखित रूप से कार्य की मांग करें। सवाल : मोतीपुर गांव में जेसीबी से कार्य कराया गया है, जबकि मनरेगा श्रमिक काम की तलाश में शहर जाने को मजबूर हैं।

- राधेश्याम यादव, मंगराकोहल

जवाब : मनरेगा के तहत होने वाले कार्य यदि जेसीबी से कराए गए हैं, तो गलत है। इसकी जांच कराकर संबंधित के खिलाफ उचित कार्रवाई की जाएगी। सवाल : मनरेगा के तहत ब्लॉक संसाधन व्यक्ति की तैनाती का विज्ञापन निकला है। इसके लिए कैसे आवेदन करें?

- इंद्रदेव पांडेय, तुलसीपुर

जवाब : तैनाती के विज्ञापन की कोई सूचना नहीं है। मनरेगा के दो भाग हैं। सोशल ऑडिट का कार्य जिला विकास अधिकारी देखते हैं। यदि संबंधित पद के लिए आपके पास योग्यता है, तो आवेदन कर सकते हैं। सवाल : मनरेगा में 100 दिन का रोजगार पा चुके श्रमिकों के लिए क्या किसी प्रोत्साहन राशि की योजना है?

- राम निरंजन, विशुनपुर खरहना रेहराबाजार

जवाब : जिलाधिकारी व सीडीओ के कुशल निर्देशन में मनरेगा का सफल संचालन किया जा रहा है। मनरेगा के तहत 100 दिन का ही रोजगार देने की योजना है। इससे अधिक कार्य या कोई प्रोत्साहन राशि देने की योजना नहीं है। सवाल : मुझे मनरेगा जॉब कार्ड बनवाना है। इसके लिए कैसे आवेदन किया जाएगा?

- संजय मिश्र, फटवा पांडेपुरवा

जवाब : परिवार के मुखिया की ओर से प्रार्थना पत्र प्रस्तुत करें। इसमें परिवार में 18 वर्ष आयु से अधिक के सभी सदस्यों का विवरण, फोटोग्राफ व संभव हो तो सभी का बैंक खाता नंबर ब्लॉक व विकास भवन स्थित उपायुक्त श्रम रोजगार कार्यालय पर उपलब्ध कराएं। एक सप्ताह में जॉब कार्ड बन जाएगा। सवाल : गांव में पशु शेड बनवाने के लिए क्या पात्रता है। इसके लिए कैसे आवेदन किया जाएगा?

- रामजी पांडेय, महादेव अतरपरी

जवाब : प्रधान का कार्यकाल समाप्त हो चुका है। वर्तमान में एडीओ पंचायत प्रशासक हैं। व्यक्तिगत पशुशाला के लिए दस श्रेणियां हैं। इसमें अनुसूचित जाति, जनजाति, घुमंतू जाति, अधिसूचना में निकाली गई जनजातियां, गरीबी रेखा के नीचे के अन्य कुटुंब, महिला प्रधान वाले कुटुंब, शारीरिक रूप से दिव्यांग वाले कुटुंब, भूमि सुधार के लाभार्थी, प्रधानमंत्री आवास योजना के लाभार्थी, जनजाति या पारंपरिक वनवासी, कृषि ऋण माफी, ऋण राहत स्कीम 2007 के लाभार्थी आवेदन कर सकते हैं।

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