..और सीढि़यों पर लेटी प्रसव पीड़ा से तड़पती रही सुनीता
जासं बलरामपुर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र तुलसीपुर में मरीजों के इलाज को लेकर जिम्मेदार तनिक भी संजीदा नहीं हैं। संवेदनहीनता का आलम यह है कि फर्श पर तड़पती प्रसूता को कोई यह तक बताने वाला नहीं है कि भर्ती कहां होना है। यही नहीं अस्पताल में गंभीर मरीजों को भर्ती करने के बाद स्वास्थ्यकर्मी निगरानी करना भूल जाते हैं। जिससे मरीज की हालत सुधरने के बजाय बिगड़ने की आशंका बनी रहती है। इतना सब होने के बाद भी विभागीय अधिकारी अस्पताल की सुध लेने के बजाय कागजों में सब कुछ ठीकठाक होने का दावा कर रहे हैं।
बलरामपुर : सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र तुलसीपुर में मरीजों के इलाज को लेकर जिम्मेदार थोड़ा भी संजीदा नहीं हैं। संवेदनहीनता का आलम यह है कि फर्श पर तड़पती प्रसूता को कोई यह तक बताने वाला नहीं है कि भर्ती कहां होना है। यही नहीं, अस्पताल में गंभीर मरीजों को भर्ती करने के बाद स्वास्थ्यकर्मी निगरानी करना भूल जाते हैं। जिससे मरीज की हालत सुधरने के बजाय बिगड़ने की आशंका बनी रहती है। इतना सब होने के बाद भी विभागीय अधिकारी अस्पताल की सुध लेने के बजाय कागजों में सब कुछ ठीकठाक होने का दावा कर रहे हैं।
दृश्य एक : समय 12.20 बजे। नैकिनिया गांव निवासी राम अवतार की पत्नी सुनीता को प्रसव पीड़ा हो रही थी। दर्द इतना अधिक था कि वह अस्पताल की सीढि़यों पर ही लेट गई। तड़पती सुनीता को परिवारजन संभालने में लगे थे, लेकिन किसी चिकित्सक व स्वास्थ्यकर्मी ने उसका हाल पूछना जरूरी नहीं समझा। परिवारजन ने बताया कि चिकित्सक ने अल्ट्रासाउंड रिपोर्ट लाने को कहा है, उसी का इंतजार कर रहे हैं।
दृश्य दो : समय 12.30 बजे। दिमागी बुखार से पीड़ित जगतापुर गांव निवासी दस वर्षीय चंदन को वार्ड में भर्ती किया गया है। स्वास्थ्यकर्मी उसे ग्लूकोज की बोतल लगाकर चले गए। काफी देर तक किसी स्वास्थ्यकर्मी वार्ड में नहीं आया। बोतल खत्म हो जाने पर चंदन खुद की ड्रिप को बंद करने का प्रयास करने लगा। ऐसे में जरा सी असावधनी अनहोनी का सबब बनने के लिए काफी है। बगल बेड पर दिमागी बुखार की मरीज बिना चादर के लेटी दिखी।
यह कुछ मामले सीएचसी तुलसीपुर के चिकित्सक व स्वास्थ्यकर्मियों की संवेदनहीनता को बयां करने के लिए काफी हैं। ऐसे में रोजाना अस्पताल आने वाले मरीजों को लेकर जिम्मेदार कितने गंभीर हैं, इसका अंदाजा सहज ही लगाया जा सकता है।
जिम्मेदार के बोल : सीएचसी अधीक्षक डॉ.सुमंत चौहान का कहना है कि सुनीता के परिवारजन उसे निजी अस्पताल ले जाने की जिद पर अड़े थे। ग्लूकोज व इंजेक्शन लगाया गया था। बाद में परिवारजन लेकर चले गए।