सावधान : डॉगी का प्यार, कर न दे बीमार

पालतू कुत्ते बिल्ली बंदर को लगवाएं एआरवी काटने या चाटने पर तुरंत जाएं अस्पताल

By JagranEdited By: Publish:Sun, 27 Sep 2020 10:23 PM (IST) Updated:Mon, 28 Sep 2020 05:11 AM (IST)
सावधान : डॉगी का प्यार, कर न दे बीमार
सावधान : डॉगी का प्यार, कर न दे बीमार

बलरामपुर : पशु-पक्षियों से प्रेम करना ठीक है, मगर थोड़ी सी असावधानी मुसीबत का कारण बन सकती है। कुत्ते, बिल्ली व बंदर का काट लेना जानलेवा हो सकता है। साथ ही इनके चाटने से भी रैबीज के विषाणु शरीर में प्रवेश कर जाते हैं। रैबीज के लक्षण बहुत देर में दिखने शुरू होते हैं, लेकिन तब तक इलाज का समय निकल चुका होता है। रैबीज के विषाणु न्यूरोमस्कुलर जंक्शन के जरिए नर्वस सिस्टम में पहुंचकर दिमाग में सूजन पैदा कर देता है। इससे व्यक्ति कोमा में चला जाता है या मौत हो जाती है। ऐसे फैलता है रैबीज :

व्यक्ति के खून में यह रैबीज के विषाणु संक्रमित जानवर के काटने, घाव व चोट को चाट लेने से फैलता है। इसके लक्षण चार से आठ सप्ताह में विकसित होते हैं। अगर रैबीज से संक्रमित जानवर किसी की गर्दन या सिर के आसपास काट लेता है, तो लक्षण तेजी से उभरते हैं। क्या हैं लक्षण :

-डॉ. वीरेंद्र आर्य ने बताया कि यदि कुत्ता, बिल्ली पाल रहे हैं तो उसे एंटीरैबीज वैक्सीन (एआरवी) जरूर लगवा दें। रैबीज पीड़ित को जानवर के काटने व चाटने वाले स्थान पर झुनझुनी होती है। बुखार, भूख न लगना व सिरदर्द की शिकायत हो सकती है। कई बार व्यक्ति बिना बात उत्तेजित हो जाता है। उसे पानी से डर लगने लगता है। लकवा, व्याकुलता, भ्रम, खाना-पानी निगलने में कठिनाई, बहुत अधिक लार निकलना,(हाईड्रोफोबिया) पागलपन, अनिद्रा की स्थिति भी आ जाती है।

जानवर के काटने पर करें यह काम : जिला प्रतिरक्षण अधिकारी डिप्टी सीएमओ डॉ.अरुण ने बताया कि किसी जानवर के काट व चाट लेने पर पहले पानी व साबुन से धुलना चाहिए। फिर उस पर टिचर या पोवोडीन आयोडिन लगाना चाहिए। ऐसा करने से कुत्ते व अन्य जानवरों की लार में पाए जाने वाले विषाणु सिरोटाइपवन लायसावायरस की ग्यालकोप्रोटिन की परतें धुल जाती हैं। इसके तुरंत बाद टिटनस व एंटी रैबीज इंजेक्शन लगवाना चाहिए।

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